Written by : प्रमुख संवाद
कोटा, 23 जुलाई — कोटा के प्रतिष्ठित महारानी राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, रामपुरा का प्रांगण आज एक अद्भुत स्वास्थ्य संवाद का साक्षी बना, जब सुवि आई हॉस्पिटल के निदेशक एवं प्रसिद्ध नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय और साइंटिफिक होलिस्टिक केयर एंड वेलनेस मोटिवेटर डॉ. संजय सोनी (आरोग्यम एलन) ने छात्राओं एवम् शाला के टीचर्स व स्टाफ सदस्यों के साथ स्वस्थ जीवन और नेत्र देखभाल के अनमोल सूत्र साझा किए। यह संवाद न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि छात्राओं की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा भी बन गया।

कार्यक्रम की गरिमामयी शुरुआत विद्यालय की आदरणीय प्रधानाचार्या श्रीमती प्रीति शर्मा द्वारा दोनों अतिथियों के स्वागत के साथ हुई। डॉ. पाण्डेय ने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि इस विद्यालय में बड़ी महारानी जैसी होनहार बालिकाओं ने शिक्षा पाई है। डॉ. वागीशा शर्मा और डॉ. मनीषा शर्मा जैसी प्रतिभाशाली पूर्व छात्राएं इसका उदाहरण हैं। डॉ. वागीशा शर्मा वर्तमान में अमेरिका में स्त्री रोग विशेषज्ञ (गाइनकोलॉजिस्ट) के रूप में सेवाएं दे रही हैं। नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने अपनी संवादात्मक शैली और एक विशेष आई मॉडल की सहायता से आंखों की संरचना को सरल और रोचक तरीके से समझाया। उन्होंने बताया कि मात्र 2.5 सेंटीमीटर की आंखें ईश्वर की सबसे जटिल और अद्भुत रचनाओं में से एक हैं। मानव जीवन में 80% से अधिक ज्ञान हम आंखों के माध्यम से प्राप्त करते हैं। डॉ. पाण्डेय ने डिजिटल युग की सबसे बड़ी चुनौती — डिजिटल आई स्ट्रेन पर प्रकाश डालते हुए छात्राओं को ‘20-20-20 नियम’ बताया। उन्होंने समझाया कि हर 20 मिनट बाद, 20 फीट दूर, 20 सेकंड तक देखने से आंखों की थकान, सूखापन और जलन से बचा जा सकता है। बच्चों में बढ़ती मोबाइल निर्भरता को उन्होंने “नोमोफोबिया” — यानी मोबाइल न होने का डर, बताया और इसे 21वीं सदी की मानसिक बीमारी की संज्ञा दी। उन्होंने छात्राओं को डोपामिन डिटॉक्स (एक दिन बिना मोबाइल, सोशल मीडिया, स्क्रीन के) अपनाने का आग्रह किया। इससे न केवल मस्तिष्क को विश्राम मिलता है, बल्कि एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता भी बढ़ती है। डॉ. पाण्डेय ने छात्राओं को समय-समय पर नेत्र परीक्षण कराने, फाइबर युक्त आहार लेने और अपने भोजन में हरी सब्ज़ियाँ, मोटे अनाज (मिलेट्स) और ताजे फल शामिल करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिदिन सुबह 15 से 30 मिनट तक प्राकृतिक सूर्य प्रकाश में रहने से डोपामिन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडॉर्फिन जैसे हैप्पी हार्मोन्स सक्रिय होते हैं, जो मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को सशक्त बनाते हैं।
साइंटिफिक होलिस्टिक केयर एंड वेलनेस मोटिवेटर डॉ. संजय सोनी ने पौष्टिक जीवनशैली की महत्ता को लाइव डेमो के माध्यम से बड़े ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने छात्राओं को हेल्दी ब्रेकफास्ट जैसे अंकुरित अनाज, सलाद, प्रोबायोटिक आदि बनाने के आसान और व्यावहारिक सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि हमारे खान-पान का सीधा संबंध हमारी सोच, भावनाओं और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली से है। डॉ. सोनी ने ‘गट-ब्रेन एक्सिस’ की अवधारणा को सरल उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया — कैसे हमारी आंतें और मस्तिष्क परस्पर संवाद करते हैं, और कैसे एक स्वस्थ आंत हमें बेहतर मानसिक स्थिति और भावनात्मक स्थिरता प्रदान कर सकती है। उन्होंने छात्राओं से कहा कि “जैसा खाओगे, वैसा सोचोगे” केवल कहावत नहीं, अब वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तथ्य है। कार्यक्रम की सबसे विशेष बात विद्यालय की सभी छात्राओं एवम् शाला के टीचर्स व स्टाफ सदस्यों के द्वारा जंक फूड के बहिष्कार की सामूहिक शपथ रही। यह पल न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि यह संकल्प दर्शाता है कि नई पीढ़ी स्वास्थ्य के प्रति कितनी जागरूक और प्रतिबद्ध है। प्रश्नोत्तर सत्र में छात्राओं ने आंखों की देखभाल, स्क्रीन से आंखें कैसे बचाएं, संतुलित आहार, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े अनेक सवाल पूछे, जिनके उत्तर दोनों विशेषज्ञों ने संवेदनशीलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दिए। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्या श्रीमती प्रीति शर्मा, समस्त शिक्षकों और विद्यालय स्टाफ की ओर से दोनों अतिथियों को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस अवसर ने विद्यालय को एक नई दिशा दी — यह केवल एक स्वास्थ्य संवाद नहीं था, बल्कि यह एक स्वस्थ और जागरूक समाज के निर्माण की ओर एक सशक्त कदम था।
महारानी राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, रामपुरा, कोटा में आयोजित स्वास्थ्य संवाद के दौरान नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय और साइंटिफिक होलिस्टिक केयर एंड वेलनेस मोटिवेटर डॉ. संजय सोनी ने लाइव डेमो के माध्यम से छात्राओं को स्वस्थ जीवन और आंखों की देखभाल के अनमोल सूत्र सिखाए। विद्यालय की छात्राओं एवम् शाला के टीचर्स व स्टाफ सदस्यों के द्वारा जंक फूड के बहिष्कार की सामूहिक शपथ ली