Written by : Sanjay kumar
कोटा/सांगोद, 12 अगस्त।
ग्राम पंचायत कुंदनपुर की तत्कालीन सरपंच मीना देवी (पत्नी – पूर्व मंत्री भरत सिंह) और ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ पद के दुरुपयोग व गंभीर अनियमितताओं के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मामला दर्ज किया है।
यह कार्रवाई सांगोद के उप प्रधान ओम नागर अडूसा द्वारा राज्य सरकार को की गई शिकायत के बाद हुई। विस्तृत जांच के उपरांत ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त आयुक्त एवं शासन उप सचिव इंद्रजीत सिंह ने एसीबी में मामला दर्ज कराया।

मामला क्या है
जांच रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम किशनपुरा में स्थित चारागाह भूमि को 2021 में अवैध रूप से आबादी भूमि घोषित कर, बेशकीमती भूखंड एक ही परिवार के 3 सदस्यों समेत 4 लोगों को मात्र ₹100 प्रति पट्टा दर पर आवंटित कर दिए गए।
- वास्तविक नियम के अनुसार, इन पट्टों का आवंटन डीएलसी दर से होना चाहिए था।
- इस कार्रवाई से राज्य सरकार को राजस्व की भारी हानि पहुंची।
- पट्टाधारियों ने स्वीकृत सीमा से अधिक भूमि पर अतिक्रमण कर मकान और दुकानें बना लीं।
पट्टे जिनके नाम जारी हुए:
- लक्ष्मण राजपूत
- ईश्वर राजपूत
- अर्जुन राजपूत
- दिनेश धाकड़
ये भूखंड मंडाप, कुंदनपुर, घाटोलिया और किशनपुरा के चौराहे पर स्थित हैं, जहां निर्माण कार्य पूर्व में मौजूद नहीं था। जांच के बाद विभाग ने सभी पट्टों को निरस्त करने की अनुशंसा की है।
अन्य अनियमितताएं भी उजागर
जांच में सरपंच मीना देवी और ग्राम पंचायत पर अन्य गंभीर आरोप भी साबित हुए—
- ग्राम अडूसा, खसरा नंबर 317 – 0.07 हेक्टर विवादित भूमि पर विधायक कोष से गलत स्वीकृति लेकर निर्माण कार्य।
- नर्सरी भवन निर्माण – सांगोद-पलायथा मेन रोड पर सूरज चौक स्थित नर्सरी भवन का निर्माण, जिसमें
- आबादी भूमि के साथ निजी खातेदारी भूमि पर भी कब्जा पाया गया।
- पुरानी नर्सरी परिसर की चारदीवारी और कमरा लगभग 35-40 वर्ष पुराना था, जिसे खुर्द-बुर्द कर सामुदायिक उपयोग में ले लिया गया।
जनप्रतिनिधियों का बयान
पत्रकार वार्ता में सांगोद प्रधान जयवीर सिंह अमृतकुआं और उप प्रधान ओम नागर अडूसा ने कहा कि—
“यह केवल चारागाह भूमि का मामला नहीं है, बल्कि पूरे कार्यकाल में ग्राम पंचायत स्तर पर की गई अनियमितताओं की पराकाष्ठा है। सरकार को तुरंत प्रभाव से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।”
इस दौरान जिला प्रमुख मुकेश मेघवाल और सुलतानपुर प्रधान कृष्णा शर्मा भी मौजूद रहे।
एसीबी की कार्रवाई
मामला दर्ज होने के बाद एसीबी ने पूरे प्रकरण की फाइल जांच में ली है।
- पट्टों की वैधता, अतिक्रमण और राजस्व हानि का फॉरेंसिक ऑडिट किया जाएगा।
- संबंधित अधिकारियों और लाभार्थियों से पूछताछ की तैयारी है।
📌 यह मामला केवल चारागाह भूमि के दुरुपयोग का नहीं, बल्कि प्रशासनिक पद का निजी लाभ के लिए प्रयोग कर जनता के संसाधनों की लूट का गंभीर उदाहरण है।
