हरे कृष्ण मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और श्रील प्रभुपाद आविर्भाव दिवस का हुआ भव्य आयोजन

Written by : प्रमुख संवाद


कोटा, 17 अगस्त। मुकुंदरा विहार स्थित हरे कृष्ण मंदिर में 16 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का भव्य आयोजन एवं 17 अगस्त को इस्कॉन संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद जी का 129वां आविर्भाव दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दो दिवसीय महोत्सव में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और दिव्य वातावरण का आनंद लिया।

मंदिर अध्यक्ष अमितासनदास जी ने बताया कि जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तजन पूरे दिन उपवास रखते हैं और मध्यरात्रि 12 बजे जन्म के पश्चात भगवान को छप्पन भोग अर्पित कर व्रत का समापन करते हैं।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 4:30 बजे मंगला आरती से हुआ, जिसके बाद सुबह 7:30 बजे दर्शन आरती सम्पन्न हुई। दिनभर मंदिर परिसर हरिनाम संकीर्तन और भव्य श्रृंगार के बीच भक्तों के लिए खुले रहे। इस अवसर पर मंदिर को विशेष फूलों (बैंगलोर व दिल्ली से लाए गए) से सजाया गया तथा भगवान की पोशाक पावनधाम वृंदावन से विशेष रूप से तैयार कर मंगवाई गई।

मध्याह्न एवं सायंकालीन कार्यक्रमों में भव्य महाअभिषेक का आयोजन किया गया। भगवान का अभिषेक पंचामृत, पंचगव्य, विभिन्न फलों के रस, औषधियों और पवित्र नदियों के जल से किया गया। इसके अतिरिक्त, जीवंत झांकियों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों को प्रदर्शित किया गया। भक्तों के लिए लड्डू गोपाल जी का झूला झुलाने और माखन-मिश्री का भोग लगाने की विशेष व्यवस्था की गई। पूरे दिन केले और पंजीरी का प्रसाद भक्तों को वितरित किया गया।

मध्यरात्रि में महाआरती सम्पन्न हुई, जिसमें भक्तों की विशाल भीड़ ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। भक्तों की सुविधा के लिए वॉटरप्रूफ टेंट, बैरिकेटिंग, पुलिस व ट्रैफिक प्रशासन, सुरक्षा गार्ड, स्वयंसेवक, पार्किंग व्यवस्था तथा पेयजल की समुचित व्यवस्था मंदिर प्रबंधन द्वारा की गई।

17 अगस्त को इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद जी का 129वां आविर्भाव दिवस मनाया गया। इस अवसर पर उनका भव्य अभिषेक हुआ, जिसमें भी लाखों भक्त शामिल हुए। इस दिन भी मंदिर द्वारा स्वादिष्ट प्रसादम की व्यवस्था की गई।

दोनों दिनों के दिव्य उत्सव ने श्रद्धालुओं को गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया और संपूर्ण कोटा शहर में भक्तिमय वातावरण का संचार हुआ।


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