Written by : लेखराज शर्मा
बारां, 18 अगस्त।
राष्ट्रीय पशुपालक संघ के आह्वान पर शाहबाद में आयोजित पशुपालक अधिकार आंदोलन धरना-प्रदर्शन का सोमवार को व्यापक असर देखने को मिला। तपस्वी जी की बगीची में आयोजित इस धरने में पुलिस, वन विभाग और पशुपालन विभाग सहित सभी संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय पशुपालक संघ के अध्यक्ष लालजी राईका ने कहा कि बारां जिले में प्रतिवर्ष निष्क्रमणीय पशुपालक आते हैं, लेकिन उनकी समस्याएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। भेड़ों की चोरी, वन विभाग की पाबंदियाँ और परंपरागत रास्तों का बंद होना सबसे गंभीर मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करने के लिए आंदोलन आवश्यक है।
संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जवाहर देवासी ने चेतावनी दी कि यदि त्वरित समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन जयपुर तक पहुँचाया जाएगा। संघ के संस्थापक उपाध्यक्ष भीखू जी ने मांग की कि पशुपालकों के लिए गूगल ग्रेज़िंग मैप उपलब्ध कराया जाए तथा पशु परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य किया जाए, जिससे पशुपालकों को बेवजह रोका-टोक न हो और चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगे।
युवा नेता भरत सरधना ने कहा कि संघ किसी भी कीमत पर पशुपालकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। वरिष्ठ उपाध्यक्ष रेवंत बा ने परंपरागत रास्ते खोलने और जंगलों से गुजरने के लिए पास जारी करने की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर बने सिंह, छगन देवासी और झालजी देवासी ने भी आंदोलन को संबोधित किया।
धरने के उपरांत रैली तपस्वी जी की बगीची से शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई अतिरिक्त जिला कलेक्टर कार्यालय तक पहुँची। प्रतिनिधि मंडल ने एडीएम झबर सिंह के समक्ष अपनी मांगें रखीं।
वार्ता के दौरान महत्वपूर्ण सहमतियाँ बनीं :
- पशुपालन विभाग ने समय पर पर्याप्त दवाइयाँ उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
- वन विभाग ने पशुपालकों को पास जारी करने और पौधारोपण के बाद खुले क्षेत्र स्थानीय व भ्रमणशील पशुओं दोनों के लिए उपलब्ध रखने पर सहमति जताई।
- पुलिस विभाग ने भेड़ चोरी रोकने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स गठित करने, डेरों के पास गश्त बढ़ाने और एफआईआर दर्ज होने पर तुरंत कार्रवाई करने का भरोसा दिया।
इन ठोस आश्वासनों के बाद राष्ट्रीय पशुपालक संघ ने आंदोलन की समाप्ति की घोषणा की।
