Written by : प्रमुख संवाद
शाहाबाद उपखंड की दांता ग्राम पंचायत क्षेत्र की करोड़ों की सरकारी जमीन पर पुनः कब्जे की खुली चुनौती
कोटा/बारां, 6 सितम्बर।
केलवाड़ा दांता ग्राम पंचायत स्थित खंडेला रोड पर करोड़ों की बेशकीमती सरकारी जमीन एक बार फिर दबंग अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चली गई है। प्रशासन ने बीते दिनों एसडीएम राहुल मल्होत्रा के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाकर भूमि को मुक्त करवाया था। उस समय भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दर्जनों अतिक्रमण ध्वस्त किए गए थे और मौके पर महिला अतिक्रमी तक को पुलिस द्वारा हिरासत में लेना पड़ा था।

लेकिन अधिकारियों के स्थानांतरण के बाद हालात बदल गए और रसूखदार लोगों ने सरकारी बोर्ड लगे होने के बावजूद उसी भूमि पर दोबारा कब्जा जमा लिया। यह सरकारी भूमि खसरा नंबर 39 में दर्ज है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये आँकी जाती है। सूत्रों के अनुसार इस भूमि की खरीद-फरोख्त तक की कोशिशें होने लगी थीं।



प्रशासन की साख पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब प्रशासन ने पहले कड़ी कार्रवाई की थी तो दुबारा कब्जा जमाना यह दर्शाता है कि दबंग तत्वों को शासन-प्रशासन का कोई डर नहीं है। यह स्थिति सीधे-सीधे सरकारी मशीनरी की विफलता और उदासीनता को उजागर करती है।
चिन्हित भूमि का महत्व
इस भूमि का एक हिस्सा पुलिस चौकी के लिए चिन्हित किया गया है और आदेश जारी कर तार फेंसिंग करवाने की भी योजना बनाई गई थी। लेकिन कार्यवाही रुकने और दबंगों के पुनः कब्जा कर लेने से यह योजना अधर में लटक गई है।
प्रशासन से मांग
स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि:
- तुरंत प्रभाव से दबंगों द्वारा किए गए दोबारा कब्जे को हटाया जाए।
- चिन्हित भूमि पर स्थायी रूप से तारबंदी और सरकारी बोर्ड स्थापित किए जाएं।
- जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही पर सख्त कार्यवाही हो।
- सरकारी भूमि पर भविष्य में कब्जा न हो इसके लिए स्थायी पुलिस चौकी और चौकसी की व्यवस्था की जाए।
जनता का आक्रोश
लोगों का कहना है कि सरकारी करोड़ों की जमीन पर कब्जे के मामले में यदि त्वरित और निर्णायक कार्रवाई नहीं होती तो इससे दबंगों के हौसले और बढ़ेंगे और सरकारी संपत्ति को बचाना मुश्किल हो जाएगा।
नागरिकों ने मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन से अपील की है कि बेशकीमती जमीन को अविलंब अतिक्रमण मुक्त करवाकर सरकारी स्वामित्व को सुरक्षित किया जाए।
