Written by: प्रमुख संवाद
Published :12 मार्च 2025
कोटा। हरे कृष्ण मंदिर, मुकुंदराविहार कोटा में 14 मार्च, शुक्रवार को श्री गौर पूर्णिमा महोत्सव मनाया जायेगा । श्री गौर पूर्णिमा श्री चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य दिवस है। मंदिर में भगवान श्री श्री निताई गौरांग का वैदिक मंत्रों के साथ महाभिषेक किया जायेगा। सभी भक्त शाम तक उपवास रखेंगे एवं अधिक से अधिक हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करेंगे।
भगवान श्री कृष्ण नवद्वीप (पश्चिम बंगाल) में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में संकीर्तन आंदोलन (भगवान के पवित्र नाम का सामूहिक जप, इस युग के लिए युग-धर्म) की स्थापना के लिए प्रकट हुए। भगवान चैतन्य और भगवान कृष्ण की शिक्षाओं में कोई अंतर नहीं है। भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएं भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं का व्यावहारिक प्रदर्शन हैं।
समारोह का शुभारम्भ शाम 7:00 बजे संकीर्तन के साथ होगा, श्री श्री गौर निताई के उत्सव विग्रह का भव्य अभिषेक किया जायेगा, उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और मीठा पानी), पंचगव्य, विभिन्न प्रकार के फलों के रस, औषधियों (जड़ी-बूटियों) के साथ मिश्रित जल और नारियल पानी से अभिषेक किया जायेगा तत्पश्चात भव्य महाआरती की जाएगी, दूर दूर से पधारें सभी भक्त हरे कृष्ण संकीर्तन एवं नृत्य में भाग ले कर आनंद प्राप्त कर सकते है । ब्रह्म संहिता की प्रार्थना के साथ श्री गौर निताई को 108 कलशों के पवित्र जल से अभिषेक किया जायेगा। अभिषेक समारोह के समापन पर भगवान पर तरह-तरह के फूलों की वर्षा की जाएगी एवं फूलो से होली खेली जाएगी।1000 किलो से अभी अधिक विभिन्न प्रकार के फूलों से भगवान श्री श्री गौर निताई भक्तो संग फूलों की होली खेलेंगे। मंदिर के उपाध्यक्ष श्री राधाप्रिय दास ने बताया कि श्री चैतन्य महाप्रभु नदिया (पश्चिम बंगाल) जिले के नवद्वीप गांव में प्रकट हुए। उनका प्राकट्य 1534 ईस्वी में फाल्गुन (फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा) के शुक्ल पक्ष के पंद्रवे दिन माता सची और जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र के रूप में हुआ था।
उन्होंने आगे बताया कि विश्व भर में श्री हरिनाम संकीर्तन श्री चैतन्य महाप्रभु की ही आचरण युक्त देन है। उन्होंने कलियुग के जीवों के मंगल के लिए ही उन्हें श्रीकृष्ण प्रेम प्रदान किया है, वह सांसारिक वस्तु प्रदाता नहीं बल्कि करुणा और भक्ति के प्रदाता हैं। भगवान् श्री चैतन्य ने कृष्णभावनामृत की शिक्षा दी और कृष्ण-नाम का कीर्तन किया।अतएव श्री चैतन्य की पूजा करने के लिए सबको मिलकर महामंत्र का कीर्तन करना चाहिए- हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण,हरे हरे |हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे। कलियुग मे धार्मिक अनुष्ठानो मे लोगो की रूचि नहीं रही, किन्तु हरे कृष्ण का कीर्तन कहीं भी और कभी भी सुगम तरीके से किया जा सकता है। इस प्रकार श्री चैतन्य की पूजा करते हुए लोग सर्वोच्च कर्म कर सकते है और परमेश्वर श्री कृष्ण को प्रसन्न्न करने का सर्वोच्च धार्मिक प्रयोजन पूरा कर सकते हैं ।
समारोह के अंत में मंदिर में भगवान के हरिनाम संकीर्तन के साथ महाआरती, फूलों एवं अभिषेक जल के द्वारा होली खेली जाएगी| अंत में मंदिर में आये सभी भक्तो के लिए प्रसाद वितरण किया जायेगा।