“विधायक की वर्दी में भ्रष्टाचार: जयकृष्ण पटेल रिश्वतकांड में एसीबी की बड़ी कार्रवाई”

Written by : Sanjay kumar
Published : 5 May 2025


जयपुर। बागीदौरा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के 5विधायक जयकृष्ण पटेल को एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने ₹20 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी रविवार को जयपुर के ज्योति नगर स्थित उनके सरकारी आवास से हुई।
◆ जैसे ही एसीबी की टीम वहां पहुंची, एक अज्ञात व्यक्ति ₹20 लाख कैश लेकर फरार हो गया।
◆ उसकी पहचान अब तक नहीं हो सकी है, और तलाश जारी है।


● क्या है पूरा मामला:

► विधायक पर आरोप है कि उन्होंने विधानसभा में खनन विभाग से जुड़े सवालों को वापस लेने के लिए ₹10 करोड़ की मांग की थी।
► बातचीत के बाद यह सौदा ₹2.5 करोड़ में तय हुआ।
► रविवार को ₹20 लाख की पहली किश्त पहुंचाई गई, जिस समय एसीबी ने ट्रैप किया।
► ट्रैप के दौरान एक व्यक्ति कैश लेकर भाग गया, जिसे विधायक के स्टाफ ने भी पहचानने से इनकार किया।


● एसीबी की कार्रवाई और बयान:

◆ एसीबी डीजी भगवान लाल सोनी के अनुसार,
→ यह एक सुनियोजित ट्रैप था।
→ कोर्ट में रिमांड की मांग की गई है ताकि:
  ✓ रिश्वत की शेष राशि की रिकवरी की जा सके।
  ✓ फरार व्यक्ति की पहचान और गिरफ्तारी हो।
  ✓ सौदे से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका स्पष्ट हो।


● विधायक की पृष्ठभूमि:

► जयकृष्ण पटेल पूर्व में शिक्षक थे।
► बीटीपी से चुनाव लड़ा लेकिन पहले हार गए।
► 4 जून 2024 को विधायक बने थे।
► चुनाव नामांकन में कुल संपत्ति ₹1.5 लाख दर्शाई गई थी:
  ✓ ₹50,000 नकद
  ✓ दो बैंकों में ₹500-₹500
  ✓ ₹35,000 के चांदी के आभूषण
► वाहन के नाम पर कुछ नहीं था, और आय का स्रोत “खेती” बताया गया था।


● राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:

◆ विधानसभा अध्यक्ष ने कहा: “कानून अपना कार्य करेगा, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
◆ विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र पर धब्बा” बताया और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।
◆ सोशल मीडिया पर यह मामला ट्रेंड कर रहा है, विधायक की आलोचना हो रही है।


● आगे की कार्रवाई:

► फरार व्यक्ति की गिरफ्तारी और पूछताछ।
► रिश्वत की पूरी राशि की बरामदगी।
► विधायक की बैंकिंग और संपत्ति की जांच।
► सौदे से जुड़े अन्य संभावित दोषियों की पहचान।


● निष्कर्ष:

◆ जयकृष्ण पटेल की गिरफ्तारी ने राजस्थान की राजनीति में भ्रष्टाचार के गंभीर खतरे को उजागर कर दिया है।
◆ एसीबी की तत्परता और न्यायपालिका की सख्ती इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है कि अब कोई भी कानून से ऊपर नहीं।


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