6 दिन बाद समाप्त हुई राजस्थान पुजारी सेवक महासंघ की भूख हड़ताल

Written by : प्रमुख संवाद

कोटा, 21 मई। राजस्थान पुजारी सेवक महासंघ की ओर से अपनी मांगों को लेकर चल रही छह दिवसीय भूख हड़ताल मंगलवार को समाप्त हो गई। कोटा में हाड़ौती अंचल के तीन पीड़ित पुजारियों – लव कुश (किशनपुरा तकिया नयागांव), राम नारायण योगी (खेड़ा रसूलपुर) और धनराज (ग्राम सौगंधआ) – ने संभागीय आयुक्त कार्यालय पर दंडवत परिक्रमा करते हुए अपना विरोध प्रकट किया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

इस आंदोलन का नेतृत्व ब्राह्मण कल्याण परिषद के संयोजक अनिल तिवारी द्वारा किया गया। उन्होंने पुजारी संघ के साथ मिलकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के विशेष अधिकारी (OSD) राजीव दत्ता से उनके कार्यालय पर मुलाकात कर पीड़ित पुजारियों को न्याय दिलाने की अपील की। इस अवसर पर पुजार संघ से महेंद्र शर्मा, मनमोहन शर्मा, गिरधर दाधीच, दयाराम शर्मा, लोकेश शर्मा, रामस्वरूप शर्मा कई पुजारी साथ रहे।

तत्काल हुआ प्रशासनिक हस्तक्षेप
राजीव दत्ता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल धरना स्थल पर पहुँचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने वहीं से संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों से फोन पर बात कर आवश्यक निर्देश जारी किए। उन्होंने आश्वासन दिया कि मंदिर माफी की भूमि पर अवैध कब्जा करने वाले भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित पुजारियों को उनका अधिकार वापस दिलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला स्वयं इस प्रकरण को गंभीरता से ले रहे हैं, और उनके विशेष अभियान के तहत पुजारियों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से किया जाएगा।

पुजारी समाज ने जताई संतोष और आभार
जिला प्रशासन द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया और समाधान के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर पुजारी समाज ने संतोष और प्रसन्नता व्यक्त की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के गणमान्य प्रतिनिधि व पुजारीगण उपस्थित रहे।

उपस्थित प्रमुख व्यक्ति
इस महत्वपूर्ण मौके पर ब्राह्मण कल्याण परिषद के प्रमुख पदाधिकारी अनिल तिवारी, बृजराज गौतम, धर्मेंद्र दीक्षित, विशाल शर्मा, राजेंद्र गौतम, ईश्वर शर्मा, बबलू शर्मा, आनंद शर्मा मौजूद रहे। दंडवत परिक्रमा में महेंद्र शर्मा, मनमोहन शर्मा, गिरधर दाधीच, दयाराम शर्मा, लोकेश शर्मा, रामस्वरूप शर्मा, अनिल शर्मा, रघुवीर, तथा हाड़ौती क्षेत्र के अनेक पुजारीगण भी शामिल हुए।
पीड़ित पुजारियों ने सभी समर्थकों, उपस्थितजनों एवं प्रशासनिक अधिकारियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुए कहा कि “यह लड़ाई हमारी भूमि के अधिकार और धर्मस्थलों की रक्षा की थी, जिसमें समाज और प्रशासन दोनों की भागीदारी सराहनीय रही।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!