“अकबर और जोधा का विवाह इतिहास में दर्ज नहीं, अंग्रेजों ने गढ़ी कहानी” – राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े

Written by : Sanjay kumar


उदयपुर, 30 मई | राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने बुधवार को उदयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण और चर्चा का विषय बन सकने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि मुगल सम्राट अकबर और जोधा बाई के विवाह की कथा ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है, बल्कि यह अंग्रेजों के प्रभाव में गढ़ी गई एक भ्रांत धारणा है।

राज्यपाल ने कहा, “इतिहास लेखन पर अंग्रेजों का गहरा प्रभाव रहा है। उन्होंने भारत के शूरवीरों के गौरव को दबाया और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया। अकबर और जोधा के विवाह की कहानी भी इसी विकृति का एक उदाहरण है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अकबरनामा सहित किसी भी समकालीन ऐतिहासिक ग्रंथ में अकबर और जोधा के विवाह का कोई उल्लेख नहीं मिलता।

“दासी की पुत्री से हुआ था विवाह” – राज्यपाल का दावा

हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि आमेर के तत्कालीन शासक राजा भारमल ने अपनी एक दासी की पुत्री का विवाह अकबर से कराया था, न कि अपनी राजकुमारी से। उन्होंने कहा, “फिल्मों और कुछ इतिहास की किताबों ने इस झूठे तथ्य को लोकप्रिय बना दिया, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। यह ऐतिहासिक मिथक केवल जनभावनाओं को भ्रमित करता है।”

उनके इस बयान ने 1562 में हुए उस विवाह पर बहस को फिर से ज़िंदा कर दिया है, जो आमतौर पर अकबर और भारमल की बेटी मरियम-उज़-ज़मानी (हरका बाई) के रूप में दर्ज किया गया है। ऐतिहासिक दस्तावेजों में कहीं भी ‘जोधा’ नाम स्पष्ट रूप से नहीं मिलता। ‘जोधा’ नाम का प्रचलन बाद की लोककथाओं और किवदंतियों से हुआ बताया जाता है।

अंग्रेजों ने बदला भारत का इतिहास: बागड़े

राज्यपाल ने आगे कहा कि अंग्रेजों द्वारा रचित इतिहास ने भारत के असली नायकों को पृष्ठभूमि में धकेल दिया। उन्होंने कहा, “महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे वीरों का यथोचित सम्मान नहीं किया गया, जबकि विदेशी शासकों को महिमामंडित किया गया। यहां तक कि महाराणा प्रताप द्वारा अकबर को संधि की चिट्ठी लिखे जाने की बात भी भ्रम फैलाने वाली है।”

राज्यपाल का कहना है कि महाराणा प्रताप ने कभी आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया और वह राष्ट्र गौरव के प्रतीक थे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि “अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी को अपने वास्तविक इतिहास से परिचित कराया जाए। नई शिक्षा नीति इस दिशा में सकारात्मक कदम है।”

महाराणा प्रताप और शिवाजी: राष्ट्रभक्ति के प्रतीक

हरिभाऊ बागड़े ने यह भी कहा कि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज भारत की आत्मा हैं। उन्होंने कहा, “अगर ये दोनों समकालीन होते, तो देश की तस्वीर बिल्कुल अलग होती। दोनों नायकों ने अपनी वीरता, रणनीति और देशभक्ति से जो उदाहरण प्रस्तुत किए, वे युगों तक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।”


नोट: इतिहासकारों के बीच अकबर और जोधा के संबंध को लेकर वर्षों से मतभेद बना हुआ है। कुछ विद्वान मानते हैं कि अकबर का विवाह आमेर के राजा भारमल की बेटी मरियम-उज़-ज़मानी से हुआ था, जबकि ‘जोधा’ शब्द का बाद में लोकपरंपरा में उपयोग हुआ, जिससे भ्रम पैदा हुआ। इस विषय पर अभी भी ऐतिहासिक शोध जारी है और किसी निष्कर्ष पर पहुँचना कठिन है।


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