भारतीय दवा उद्योग पर संकट के बादल: अमेरिका में 200% टैरिफ प्रस्ताव से उठी चिंता, छोटे निर्माताओं पर मंडराया अस्तित्व का खतरा

Written by : Sanjay kumar


दवाओं की कीमतें बढ़ना तय, मर्जर और शटडाउन की आशंका तेज; अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी चुकानी पड़ सकती है महंगी कीमत

नई दिल्ली, जुलाई 2025 – अमेरिका द्वारा भारत से निर्यात की जाने वाली दवाओं पर संभावित 200% आयात शुल्क (इंपोर्ट टैरिफ) लगाने का प्रस्ताव भारतीय फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए गंभीर आर्थिक और रणनीतिक चुनौती बनकर उभर रहा है। विशेषज्ञों और इंडस्ट्री इनसाइडर्स का कहना है कि यह कदम भारतीय दवा कंपनियों के मार्जिन, ऑपरेशनल सस्टेनेबिलिटी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सीधा प्रभावित कर सकता है — खासकर छोटी और मझोली कंपनियों के लिए यह अस्तित्व का संकट बन सकता है।

अमेरिका सबसे बड़ा बाजार, टैरिफ से लागत में उछाल तय

भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका एक सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जिससे उन्हें कुल राजस्व का 30 से 40 प्रतिशत प्राप्त होता है। रेटिंग एजेंसी कंपनी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, “टैरिफ लगाने से कंपनियों की लाभप्रदता और वृद्धि दर पर सीधा असर होगा। अमेरिका में पहले से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते मार्जिन बेहद सीमित हैं, ऐसे में अतिरिक्त शुल्क कंपनियों पर भारी बोझ डालेगा।”

छोटी कंपनियों के लिए खतरे की घंटी, मर्जर और बंदी की नौबत संभव

एक वरिष्ठ उद्योग अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “अभी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन यदि 200% टैरिफ जैसा कोई फैसला लागू हुआ, तो छोटे स्तर पर काम करने वाली फार्मा कंपनियां टिक नहीं पाएंगी। लागत बढ़ने की भरपाई के लिए उन्हें या तो कीमतें बढ़ानी होंगी या बाजार छोड़ना होगा। इसके चलते मर्जर या यूनिट बंद करने जैसी मजबूरी भी आ सकती है।”

अमेरिकी उपभोक्ता भी होंगे प्रभावित: महंगी दवाओं की मार

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम केवल भारतीय कंपनियों के लिए नहीं, बल्कि अमेरिकी स्वास्थ्य क्षेत्र और मरीजों के लिए भी महंगा सौदा साबित होगा। अमेरिका में बड़ी संख्या में जेनरिक दवाएं भारत से आयात की जाती हैं, जिनकी वजह से वहां के उपभोक्ताओं को किफायती इलाज उपलब्ध होता है। 200% शुल्क लगने से दवाओं की कीमतों में तेज उछाल आ सकता है, जिससे स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और मेडिकल खर्च बढ़ना तय है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य: भारत 10% शुल्क लगाता है, अमेरिका नहीं लगाता कोई टैक्स

फिलहाल भारत अमेरिका से आने वाली दवाओं पर लगभग 10% आयात शुल्क वसूलता है, जबकि अमेरिका भारतीय दवाओं पर कोई इंपोर्ट टैरिफ नहीं लगाता। ट्रंप प्रशासन का यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन और नीति गत रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है।


निष्कर्ष: टैरिफ से दोतरफा नुकसान संभव

यदि अमेरिका दवा आयात पर टैरिफ लागू करता है तो इसका असर न केवल भारतीय फार्मा उद्योग की निर्यात क्षमताओं पर पड़ेगा, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर भी भारी पड़ेगा। यह कदम विश्व स्वास्थ्य बाजार में सस्ते और प्रभावी इलाज के लिए भारत की भूमिका को कमजोर कर सकता है। विशेषज्ञों ने अमेरिकी प्रशासन से अपील की है कि इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाए और टैरिफ के स्थान पर रचनात्मक सहयोग और पारदर्शी संवाद को प्राथमिकता दी जाए।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!