Written by : प्रमुख संवाद
कोटा, 17 जून। स्पाइनल इंजरी यानी रीढ़ की हड्डी की चोट एक अत्यंत जटिल और जीवन को स्थायी रूप से प्रभावित करने वाली स्थिति होती है। विशेषकर तब, जब इसके साथ न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं, जैसे पूर्ण या आंशिक लकवा, मूत्र और मल पर नियंत्रण की कमी जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो जाएं। ऐसे मामलों में समय पर सटीक निर्णय और सर्जरी जीवन रक्षक सिद्ध होती है।
ईथॉस मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कोटा ने हाल ही में चिकित्सा के क्षेत्र में एक और मिसाल कायम करते हुए बकानी निवासी,30 वर्षीय महिला मरीज निर्मला को T12 स्पाइनल फ्रैक्चर और एशिया बी न्यूरोलॉजिकल स्टेटस (लगभग पूर्ण लकवा) की हालत में भर्ती किया गया। मरीज को न केवल चलने-फिरने में असमर्थता थी, बल्कि मूत्र और मल त्याग में भी गंभीर कठिनाई थी।
आपातकालीन सर्जरी से मिला नया जीवन
ईथॉस हॉस्पिटल के वरिष्ठ ऑर्थो स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव मेहता ने मरीज की आपातकालीन स्पाइन सर्जरी “पोस्टेरियर फिक्सेशन और डिकंप्रेशन” विधि से की। इस प्रक्रिया में T10 से L1 तक पेडिकल स्क्रू फिक्सेशन किया गया, जिससे रीढ़ की हड्डी पर बने दबाव को प्रभावी रूप से हटाया गया।
डॉ. गौरव मेहता के अनुसार, “मरीज की स्थिति अत्यंत नाजुक थी। त्वरित और सटीक सर्जिकल हस्तक्षेप ने स्थायी अपंगता को टाल दिया और रीढ़ की नसों को गंभीर क्षति से बचाया गया।”
तेजी से सुधार, दो सप्ताह में मिली छुट्टी
चिकित्सा टीम की लगातार निगरानी और कुशल फिजियोथेरेपी के परिणामस्वरूप मरीज की स्थिति में दो सप्ताह के भीतर ही अद्भुत सुधार हुआ। निर्मला को पूर्णतः चलने-फिरने योग्य स्थिति में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वे सामान्य जीवन जीने में सक्षम हैं, जो चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से एक बड़ा उपलब्धि मानी जा रही है।
ईथॉस हॉस्पिटल—अत्याधुनिक सेवाओं का केंद्र
निदेशक प्रदीप दाधीच ने बताया कि ईथॉस हॉस्पिटल कोटा अब प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का एक विश्वसनीय नाम बन चुका है। यहां न्यूरो, ऑर्थो, कार्डियो और अन्य मल्टीस्पेशलिटी सेवाएं 24×7 उपलब्ध हैं। अनुभवी डॉक्टरों की टीम और अत्याधुनिक उपकरणों की मौजूदगी इस अस्पताल को जटिलतम केस संभालने में सक्षम बनाती है।