Written by : Sanjay kumar
30 फीट ऊँचा रथ, वृंदावन के फूलों से सजा रथ, गूंजेगा “जय जगन्नाथ” का जयकारा
कोटा, 19 जून। श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत संगम 27 जून को इस्कॉन कोटा के तत्वावधान में श्रीजगन्नाथ भगवान की भव्य रथयात्रा के रूप में नगर में साकार होने जा रहा है। यह रथयात्रा दोपहर 3 बजे गुमानपुरा स्थित शीतला माता मंदिर से प्रारंभ होकर नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई गीता भवन में समापन तक पहुँचेगी।

हरिनाम संकीर्तन और पुष्पवर्षा के साथ अलौकिक अनुभव
रथयात्रा मार्ग में भक्तिभाव से सराबोर श्रद्धालु, हरिनाम संकीर्तन, पुष्पवर्षा, जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रसाद वितरण के माध्यम से रथ को नगर भ्रमण कराएंगे। आयोजन को यादगार बनाने के लिए इस्कॉन द्वारा वृंदावन से मंगाए गए सुगंधित फूलों, भव्य LED लाइटों और पारंपरिक सजावट से रथ को अलंकृत किया जाएगा। रथ की लंबाई 12 फीट है, जो 30 फीट तक ऊँचाई में विस्तारित होगा, जिसे खींचने के लिए 50 से 70 फीट लंबी रस्सियाँ जोड़ी जाएंगी। इस रथ पर भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की प्रतिमाएं विराजमान रहेंगी।

नगर भ्रमण मार्ग
रथयात्रा का मार्ग: शीतला माता मंदिर न्यू कॉलोनी – गुमानपुरा – इंदिरा की मूर्ति – फ्लाईओवर के नीचे – अनुप्रत भवन रोड – सब्जी मंडी रोड – स्वर्ण रतन मार्केट – गीता भवन।
रास्ते में जलपान, फलाहार व विश्राम व्यवस्था भी उपलब्ध रहेगी।
गीता भवन में भक्ति की संध्या
रथ के गीता भवन पहुंचने पर भव्य सभा का आयोजन होगा, जिसमें सांस्कृतिक संध्या के तहत इस्कॉन कोटा की बालिकाएं मनोहर कथक नृत्य प्रस्तुत करेंगी तथा भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित नाटिका ‘गीत गोविंद’ का मंचन किया जाएगा।
पुरी परंपरा की पुनरावृत्ति, कोटा में सजीव होती परंपरा
सह-प्रबंधक मायापुरवासी प्रभु ने बताया कि यह रथयात्रा पुरी धाम की प्राचीन परंपरा पर आधारित है। ज्येष्ठ पूर्णिमा को स्नान यज्ञ के बाद भगवान अनवश्र लीला में प्रविष्ट होते हैं और पुनः रथयात्रा के माध्यम से दर्शन देते हैं। कोटा में भी इस परंपरा को जीवंत करते हुए नौ दिनों तक प्रभु विभिन्न भक्तों के घर निवास करते हैं।
15,000 श्रद्धालुओं को मिलेगा खिचड़ी प्रसाद
रथयात्रा समिति के अध्यक्ष भगवान बिरला द्वारा पोस्टर विमोचन कार्यक्रम के दौरान घोषणा की गई कि इस अवसर पर 15,000 से अधिक श्रद्धालुओं को विशेष खिचड़ी प्रसाद वितरित किया जाएगा। साथ ही संपूर्ण मार्ग में जल व फलाहार की भी उत्तम व्यवस्था रहेगी।
सेवाभाव से ओतप्रोत टीम
इस आयोजन को सफल बनाने में अवतार गौर प्रभु, गजेन्द्र प्रभु, जीवनज्योति अग्रवाल, अभिषेक खंडेलवाल, टेकचंद बोधवानी, मनीष अरोड़ा, नलिन पराशर, चंद्रशेखर शर्मा, नवनीत माहेश्वरी, सोहन माहेश्वरी आदि समर्पित सेवा दे रहे हैं।
“हरिनाम और प्रसाद ही हैं कलियुग में उद्धार के साधन”
मायापुरवासी प्रभु ने कहा कि स्वामी प्रभुपाद द्वारा जगतभर में प्रारंभ की गई रथयात्रा परंपरा आज अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक जगन्नाथ महोत्सव का रूप ले चुकी है। “कलियुग में भगवान जगन्नाथ का स्वरूप हरिनाम संकीर्तन और प्रसाद के माध्यम से सहज भगवत्प्राप्ति का माध्यम है। यही इस्कॉन की आत्मा है।”
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