गौ आधारित जैविक खेती में तकनीकी नवाचार से किसान होंगे समृद्ध: केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी

Written by : प्रमुख संवाद

कोटा, 22 जून।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने रविवार को कोटा जिले के जाखोड़ा स्थित गोयल ग्रामीण विकास संस्थान के श्रीराम शांताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने केंद्र में चल रहे गौ आधारित जैविक खेती के अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं नवाचार प्रयासों का अवलोकन किया।

चौधरी ने कहा कि गौ आधारित जैविक खेती को नवीन तकनीक से जोड़कर कृषि क्षेत्र में समृद्धि लाई जा सकती है। जैविक किसानों को यदि बुवाई से लेकर विपणन तक के सभी पहलुओं का समाधान एक ही मंच पर मिल जाए, तो इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि खेती में आत्मनिर्भरता भी विकसित होगी। उन्होंने केंद्र में विकसित मॉडल को देश के लिए प्रेरणादायक और उपयोगी बताया।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने गौ आधारित पद्धति से कार्य कर रहे किसानों से संवाद कर उनके अनुभव सुने और इस पद्धति की सरलता, वैज्ञानिकता एवं प्रभावशीलता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह केंद्र प्राचीन भारतीय कृषि ज्ञान और आधुनिक तकनीकों का बेहतरीन समन्वय प्रस्तुत करता है, जिससे भविष्य की जैविक खेती को दिशा मिलेगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता गोयल ग्रामीण विकास संस्थान के निदेशक श्री ताराचन्द गोयल ने की। उन्होंने संस्थान की स्थापना, उद्देश्य और कार्ययोजना की जानकारी देते हुए बताया कि यह केंद्र देशभर में गौ आधारित खेती को प्रोत्साहित करने हेतु प्रयासरत है। कार्यक्रम में मार्गदर्शक के रूप में उपस्थित अखिल भारतीय बीज प्रमुख, भारतीय किसान संघ के श्री कृष्णमुरारी ने देशी बीजों के उपयोग को बढ़ावा देने की अपील की।

संस्थान के मुख्य प्रबंधक पवन टाक ने बताया कि मंत्री को केंद्र में किए जा रहे तीन प्रमुख अनुसंधान कार्यों की विस्तृत जानकारी दी गई।

  1. भूमि उपचार: 75 किलोग्राम ताजा देशी गोबर का सिंचाई जल में प्रयोग कर भूमि में लाभकारी जीवाणुओं की वृद्धि।
  2. फसल संवर्धन: देशी गोमूत्र (1.5 लीटर), चूना (2 ट्यूब) और 13.5 लीटर पानी से तैयार घोल का छिड़काव कर फसल में वृद्धि।
  3. कम्पोस्ट निर्माण: एक टन जैविक अपशिष्ट को केवल 2 किलोग्राम गुड़, 30 किलोग्राम गोबर, 30 लीटर छाछ और 150 लीटर पानी से तैयार घोल द्वारा 500 किलोग्राम कम्पोस्ट में बदलने की तकनीक।

इन तीनों प्रयोगों को एकीकृत करते हुए एक बीघा क्षेत्रफल में पाँच सदस्यीय परिवार की आवश्यकता की अनाज, फल, सब्जी, औषधि, चारा और तिलहन फसलें उगाने वाली पोषण वाटिका की अवधारणा को भी मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें एक गाय की सहायता से यह आत्मनिर्भर मॉडल कार्यान्वित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के अंत में निर्मल गोयल, निदेशक, गोयल प्रोटीन्स लिमिटेड कोटा ने सभी अतिथियों एवं कृषकों का आभार प्रकट किया।


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