Written by : Sanjay kumar
नई दिल्ली, 22 जुलाई 2025।
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया है। उनके इस्तीफे के बाद देश में नया उपराष्ट्रपति चुने जाने की प्रक्रिया और संभावित चेहरों को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। आइए इस पूरी संवैधानिक प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्यों दिया इस्तीफा?
जगदीप धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि –
“स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं।”
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति बने धनखड़ का कार्यकाल वर्ष 2027 तक था। हाल ही में दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी और उन्हें इस वर्ष मार्च में कुछ दिनों तक भर्ती रहना पड़ा था। इसके बाद से उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी हुई थी।
अब कब होगा नए उपराष्ट्रपति का चुनाव?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति होने पर “यथाशीघ्र” चुनाव कराना अनिवार्य है। इस स्थिति में चुनाव अधिकतम छह माह के भीतर कराए जाने का प्रावधान है, लेकिन आमतौर पर इसे 60 से 75 दिनों के भीतर संपन्न कराया जाता है।
ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आगामी सितंबर 2025 के भीतर नया उपराष्ट्रपति चुना जाएगा। सूत्रों के अनुसार, संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ही चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार होता है। इस प्रक्रिया में:
- चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा + राज्यसभा) के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य भाग लेते हैं।
- मतदान गुप्त होता है और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) द्वारा किया जाता है।
- प्रत्येक सदस्य को उम्मीदवारों की वरीयता के क्रम में मतदान करना होता है – यानी पहली, दूसरी, तीसरी पसंद आदि।
- मतगणना में यदि किसी उम्मीदवार को पहले वरीयता के 50% से अधिक मत मिल जाते हैं, तो वही निर्वाचित घोषित होता है।
उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता
भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यताएं पूरी करनी होती हैं:
- भारत का नागरिक होना चाहिए
- आयु कम से कम 35 वर्ष हो
- राज्यसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो
- भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ निकाय में लाभ के पद (Office of Profit) पर कार्यरत न हो
चुनाव होने तक कौन संभालेगा जिम्मेदारी?
संविधान में इस विषय में स्पष्ट निर्देश नहीं हैं कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफा देने या पद रिक्त होने की स्थिति में उनकी भूमिका कौन निभाएगा।
हालांकि, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, ऐसे में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन उपसभापति द्वारा किया जाएगा।
वर्तमान में यह दायित्व हरिवंश नारायण सिंह (JDU सांसद) निभा सकते हैं। यदि वे अनुपस्थित रहें, तो राष्ट्रपति द्वारा किसी अन्य सदस्य को अधिकृत किया जा सकता है।
संभावित नामों पर मंथन
धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में कई नामों की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन और प्रधानमंत्री कार्यालय इन नामों पर विचार कर रहा है:
- हरिवंश नारायण सिंह – वर्तमान राज्यसभा उपसभापति। जेडीयू नेता हैं और विपक्ष व सत्ता दोनों से रिश्ते अच्छे हैं। अनुभव और संतुलन की दृष्टि से उपयुक्त माने जा रहे हैं।
- ओम माथुर – भाजपा के वरिष्ठ नेता और संगठन के पुराने रणनीतिकार। राज्यसभा अनुभव और वैचारिक प्रतिबद्धता के कारण नाम चर्चा में है।
- अनुराधा पाठक – महिला व सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए भाजपा द्वारा एक महिला चेहरे पर भी विचार किया जा सकता है।
- शशि थरूर (कांग्रेस) – विपक्ष की ओर से चर्चित नाम। अनुभव, अंतरराष्ट्रीय छवि और वक्तृत्व कौशल के कारण वह भी एक संभावित दावेदार हैं, हालांकि संख्या बल उनके पक्ष में नहीं है।
राजनीतिक संकेत और समीकरण
- बीजेपी और एनडीए को संसद के दोनों सदनों में बहुमत प्राप्त है। ऐसे में जिस उम्मीदवार पर शीर्ष नेतृत्व मुहर लगाएगा, उसकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
- सरकार किसी “गंभीर, सुशोभनीय और गैर-विवादित चेहरे” को चुनना चाहेगी, जो लोकतंत्र और गरिमा की छवि बनाए रख सके।
- विपक्ष अगर एकजुट हुआ, तो चुनाव को प्रतीकात्मक बना सकता है, लेकिन परिणाम पर असर नहीं होगा।
निष्कर्ष
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में अचानक से हलचल पैदा कर दी है। संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार अगले कुछ सप्ताहों में उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और नया चेहरा सामने आएगा। इस पद की गरिमा और जिम्मेदारी को देखते हुए सभी राजनीतिक दल गंभीरता से इस प्रक्रिया में भाग लेंगे।