Written by : Sanjay kumar
जयपुर, 02 अगस्त। राजस्थान विधानसभा में आयोजित चौथी युवा संसद में देशभर के 13 राज्यों से चयनित 168 विद्यार्थियों ने भाग लिया और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर तथ्यपूर्ण संवाद करते हुए लोकतांत्रिक मर्यादाओं का अनुपालन किया।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा निरंतर बढ़ रही है। भारत का लोकतंत्र और संविधान गौरवशाली और मजबूत हैं। हमें राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में पक्ष और प्रतिपक्ष को एकजुट होकर कार्य करना आवश्यक है। यदि देश रहेगा तो ही हम रहेंगे।

देवनानी और राष्ट्र मंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के सचिव संदीप शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सदन में मौजूद युवाओं ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया और पक्ष-विपक्ष की भूमिका में बैठकर लोकतांत्रिक संवाद की झलक प्रस्तुत की।
संदीप शर्मा ने कहा कि युवा संसद केवल भाषण देने या विरोध करने का मंच नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूलभूत संस्कारों की शिक्षा का माध्यम है। यह मंच युवाओं को जागरूक, विचारशील और उत्तरदायी नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है। युवा संसद भविष्य के नेताओं को नीति निर्माण और संसदीय मर्यादाओं की वास्तविक समझ प्रदान करती है।
वासुदेव देवनानी ने युवा प्रतिभागियों को लोकतंत्र की संस्कृति की गहन समझ दी। सदन में प्रवेश करते हुए उन्होंने प्रतिपक्ष को पहले और फिर पक्ष को नमस्कार कर संसदीय परंपरा का पालन किया। उन्होंने बताया कि सदन वह स्थान है जहां जनभावनाएं नीतियों में बदलती हैं और जहां जनप्रतिनिधियों की लोकतांत्रिक चेतना, नेतृत्व क्षमता और विचारशीलता की परीक्षा होती है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का सार यह है कि तर्क और तथ्यों के आधार पर विचार रखें, दूसरों की बात धैर्यपूर्वक सुनें और सहमति-असहमति के बीच संतुलन बनाए रखें। युवा संसद युवाओं को केवल आलोचक नहीं, बल्कि बदलाव के भागीदार बनने की दिशा में प्रेरित करती है।
देवनानी ने कहा कि सदन संवाद, वैचारिक विविधता और जनहित के विचारों के आदान-प्रदान का अनुशासित मंच है। यह मंच जनप्रतिनिधियों को आत्मनिरीक्षण करने और समाज के हित में सोचने का अवसर देता है। शासन केवल आदेश नहीं होता, वह विचारों, मूल्यों और सतत जनहित की प्रक्रिया है।
उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और विरोध की अभिव्यक्ति मर्यादा में रहकर होनी चाहिए। मतभेद के दौरान भी शालीनता बनाए रखनी चाहिए और जनभावनाओं को सम्मान देते हुए संवाद की गरिमा को कायम रखना चाहिए।
देवनानी ने युवाओं से आग्रह किया कि वे रामचरितमानस का अध्ययन करें और इससे पारिवारिक और सामाजिक भूमिकाओं की समझ विकसित करें। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत शिक्षा और विज्ञान में अग्रणी था। आज के युग में सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर बिना पुष्टि के जानकारी साझा करना उचित नहीं है। युवाओं को विवेकशील और तथ्यपरक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
कार्यक्रम में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गोवा, कर्नाटक, गुजरात और जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़ व दिल्ली जैसे 13 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 55 विद्यालयों के 9वीं से 12वीं तक के छात्रों ने भाग लिया। 56 छात्र-छात्राओं ने निर्धारित समय में आतंकवाद और पाक-अधिकृत कश्मीर से संबंधित विषयों पर तथ्य आधारित विचार रखे।
समारोह में राजस्थान विधानसभा के प्रमुख सचिव भारत भूषण शर्मा, विशिष्ट सहायक के.के. शर्मा, एसएमएस विद्यालय के चेयरमैन विक्रमादित्य, प्राचार्य ज्योति सहित विधानसभा के अधिकारीगण व शिक्षकगण उपस्थित रहे।
