निर्माणाधीन पीएमश्री स्कूल का छज्जा गिरा, मासूम की मौत – घटिया निर्माण पर सरकार मौन

Written by : Sanjay kumar


उदयपुर, 15 अगस्त।
राजस्थान सरकार के “शिक्षा सुधार” के दावों को शर्मसार करने वाली एक दर्दनाक घटना कोटड़ा तहसील के पाठूनबाड़ी गांव में सामने आई, जहां पीएमश्री स्कूल के निर्माणाधीन भवन का छज्जा गिरने से एक मासूम बालिका की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरी बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। घटना स्वतंत्रता दिवस के दिन घटी, जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था, वहीं इस गांव में एक परिवार ने अपनी संतान को खो दिया।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि स्कूल निर्माण में घटिया सामग्री का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसे लेकर पहले भी चेतावनी दी गई थी, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने अनदेखी की। ग्रामीणों के गुस्से का आलम यह रहा कि उन्होंने सड़क पर जाम लगाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और जिम्मेदार ठेकेदार एवं अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की।

घटना का विवरण
शिक्षा विभाग के एडीपीसी (अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक) ननिहाल सिंह के अनुसार, सुबह दोनों बच्चियां भवन के पास बकरियां चरा रही थीं। तभी अचानक निर्माणाधीन छज्जा गिर गया। हादसे में एक बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई और दूसरी घायल हो गई। उन्होंने बताया कि स्कूल अभी निर्माणाधीन है और कक्षाएं पास के एक भवन में चल रही थीं, जहां स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम भी हो रहा था।

सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल

  • आखिर पीएमश्री स्कूल जैसी राष्ट्रीय योजना के अंतर्गत हो रहे निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल क्यों हुआ?
  • क्या निर्माण कार्य की कोई नियमित जांच नहीं हो रही थी?
  • हादसे के बावजूद ठेकेदार और निर्माण एजेंसी पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
  • क्या यह भ्रष्टाचार और लापरवाही से हुई ‘हत्या’ नहीं है?

जनता की मांगें

  1. घटिया निर्माण में लिप्त ठेकेदार, इंजीनियर और जिम्मेदार शिक्षा विभाग अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
  2. पीड़ित परिवार को न्यूनतम ₹50 लाख मुआवजा और घायल बच्ची के लिए आजीवन मुफ्त इलाज मिले।
  3. पूरे जिले में चल रहे सभी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
  4. शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर निलंबन और विभागीय कार्रवाई हो।

यह हादसा केवल एक निर्माण त्रुटि नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की लापरवाही, भ्रष्टाचार और गैर-जवाबदेही का जीवंत उदाहरण है। यदि सरकार ने तत्काल कठोर कदम नहीं उठाए, तो यह साबित होगा कि मासूमों की जान से खिलवाड़ राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में सामान्य बात बन चुकी है।


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