Written by : Sanjay kumar
कोटा / चेन्नई, 26 अगस्त 2025।
भारत में हाइब्रिड पोर्ट सिक्योरिटी मॉडल को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने पहली बार निजी सुरक्षा कर्मियों के लिए विशेष “पोर्ट फैसिलिटी सिक्योरिटी कोर्स” की शुरुआत की है। यह पायलट प्रोजेक्ट मुंबई स्थित जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (जेएनपीए) और चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी (सीएचपीए) में एक साथ प्रारंभ हुआ है।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य निजी सुरक्षा कर्मियों की क्षमता वृद्धि, सुरक्षा प्रोटोकॉल का मानकीकरण और सभी बंदरगाहों पर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संहिताओं (International Maritime Codes) का अनुपालन सुनिश्चित करना है।

भारत में लगभग 200 छोटे एवं मध्यम स्तर के बंदरगाह हैं, जिनमें से केवल 65–68 बंदरगाह ही सक्रिय रूप से कार्गो संचालन में संलग्न हैं। जहाँ सीआईएसएफ सभी 13 प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा करता है, वहीं छोटे बंदरगाहों पर निजी सुरक्षा एजेंसियां कार्गो क्षेत्र, गोदाम, प्रवेश द्वार और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में, एक समान सुरक्षा ढाँचे और प्रक्रियाओं के लिए हितधारकों (बंदरगाह प्राधिकरण, सीमा शुल्क विभाग, शिपिंग कंपनियाँ, माल ढुलाई एजेंट आदि) से विचार-विमर्श कर यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
दो सप्ताह का यह विशेष पाठ्यक्रम सीआईएसएफ ने शिपिंग महानिदेशालय और अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं के परामर्श से तैयार किया है। प्रशिक्षण में बंदरगाह संचालन, खतरे की पहचान, आपातकालीन प्रतिक्रिया, कानूनी ढाँचे, आधुनिक तकनीकी सुरक्षा उपकरणों का उपयोग और आईएसपीएस (International Ship and Port Facility Security) कोड के मानक शामिल हैं।
इस पायलट चरण में –
- जेएनपीए, डीपीए (कांडला) और एमपीए (मुंबई) के 40 निजी सुरक्षा कर्मियों ने मुंबई स्थित जेएनपीए प्रशिक्षण सुविधा में नामांकन कराया।
- वहीं एनएमपीए (न्यू मैंगलोर), केपीएल (एन्नोर), सीएचपीए (चेन्नई) और वीओसीपीए (तूतीकोरिन) के 26 निजी सुरक्षा कर्मियों ने सीएचपीए प्रशिक्षण केंद्र, चेन्नई में नामांकन कराया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम इनडोर कक्षाओं और व्यावहारिक अभ्यासों का समन्वय है, जिसका संचालन सीआईएसएफ, सीमा शुल्क, समुद्री विभाग और पोर्ट हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के प्रशिक्षक कर रहे हैं।
चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी में आयोजित उद्घाटन समारोह में चेयरमैन सुनील पालीवाल (आईएएस) ने इसे बंदरगाह सुरक्षा प्रबंधन की दिशा में एक “महत्वपूर्ण प्रगति” बताया। वहीं सीआईएसएफ दक्षिण खंड के महानिरीक्षक सरवनन (भापुसे) ने कहा कि यह प्रशिक्षण सुरक्षा कर्मियों को जटिल बंदरगाह वातावरण में आत्मविश्वास और पेशेवरिता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम बनाएगा।
यह पहल ऐसे समय में हुई है जब मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण समुद्री सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ बढ़ी हैं। इस वर्ष की शुरुआत में बंदरगाहों को अस्थायी रूप से एमएआरएसईसी स्तर-2 तक उन्नत किया गया था, जिसके चलते अतिरिक्त सतर्कता और समन्वय की आवश्यकता पड़ी। इसी पृष्ठभूमि में यह नया प्रशिक्षण कोर्स न केवल उभरते खतरों के खिलाफ बंदरगाह सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक एवं वाणिज्यिक स्थिति को और मजबूत करेगा।
