Written by : Sanjay kumar
जयपुर, 3 सितम्बर।
राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को पेश हुए कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 ने प्रदेश की राजनीति में गहमागहमी तेज कर दी। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा द्वारा सदन में रखे गए इस विधेयक पर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई।
सरकार का दावा है कि विधेयक का उद्देश्य कोचिंग संस्थानों की अनियमितताओं पर रोक लगाना और विद्यार्थियों की आत्महत्याओं की घटनाओं को कम करना है, लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस, निर्दलीय और कई विधायकों ने इसे अधूरा, अप्रभावी और कोचिंग इंडस्ट्री के हितों की रक्षा करने वाला बताया।

🔴 हॉस्टल और एनओसी पर उठे सवाल
पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि विधेयक में हॉस्टलों से संबंधित स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है।
- समाज व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित सस्ते हॉस्टलों और महंगे निजी हॉस्टलों के लिए अलग नियम होने चाहिए।
- एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के नाम पर होने वाली अव्यवस्थाओं को रोकने का कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया।
- विद्यार्थियों की आत्महत्या रोकने के लिए मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग संबंधी प्रावधानों को और अधिक सशक्त करने की आवश्यकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा जाए ताकि इसमें आवश्यक सुधार किए जा सकें।
🔴 कांग्रेस का सरकार पर हमला
कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने कहा कि पिछले 8-10 वर्षों में कोचिंग सेंटरों में विद्यार्थियों की आत्महत्याओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।
- सरकार ने इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए जो विधेयक लाया है, उसमें मानसिक दबाव कम करने के ठोस उपाय नहीं हैं।
- केवल जुर्माना बढ़ाना और छात्र संख्या की सीमा तय करना ही समाधान नहीं है।
- यदि विपक्ष की पहले दी गई सलाह को माना गया होता तो विधेयक अधिक सार्थक बन सकता था।
🔴 कोचिंग इंडस्ट्री पर हरीश चौधरी का प्रहार
कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि साढ़े 12 हजार करोड़ से बढ़कर 25 हजार करोड़ तक पहुंच चुकी कोचिंग इंडस्ट्री की लूट पर कोई अंकुश नहीं है।
- उन्होंने सवाल किया कि विद्यार्थियों की चिंता कौन करेगा?
- कोचिंग सेंटर यह सच नहीं बताते कि यहाँ पढ़ने से सरकारी नौकरी की कोई गारंटी नहीं है।
- बढ़ते ऑनलाइन क्लासेस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को देखते हुए ऑनलाइन कोचिंग को भी विधेयक में शामिल किया जाना चाहिए।
🔴 फीस नियंत्रण की मांग
निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि कोचिंग सेंटरों में फीस के नाम पर खुली लूट मची हुई है।
- लेकिन विधेयक में फीस नियंत्रण का कोई प्रावधान नहीं है।
- जुर्माने की राशि घटाकर कोचिंग संचालकों को अप्रत्यक्ष फायदा पहुँचाया गया है।
- यह विधेयक अपने मूल उद्देश्य – छात्रों को राहत देना और आत्महत्या रोकना – में पूरी तरह विफल है।
🔴 छोटे कोचिंग और स्कूल शिक्षा पर चिंता
कई विधायकों ने कहा कि बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ छोटे कोचिंग सेंटर भी अब छात्रों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं। छोटे कोचिंग सेंटर द्वारा मनमानी फीस वसूली, बिना मान्यता के सेंटर का चलना, सेंटरों पर मानसिक शोषण, शिक्षा के नाम पर मोटी कमाई कर आयकर में छूट लेना आदि विषयों पर भी चर्चा हुई।
- खासकर 10वीं, 11वीं और 12वीं के छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
- यदि स्कूल शिक्षा को सशक्त और प्रभावी बनाया जाए तो छात्रों को कोचिंग सेंटरों पर निर्भर होने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी।
सार..
सदन की चर्चा से यह साफ है कि राजस्थान की कोचिंग इंडस्ट्री पर गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं।
विद्यार्थियों की आत्महत्याएं, हॉस्टल अव्यवस्थाएं, एनओसी का खेल, फीस की लूट और ऑनलाइन कोचिंग की अनदेखी – इन सब मुद्दों पर सरकार को अब निर्णायक कदम उठाने होंगे।
यदि यह विधेयक प्रवर समिति को भेजकर कठोर और स्पष्ट प्रावधानों से मजबूत नहीं किया गया तो यह केवल बड़े कोचिंग संस्थानों के हितों की रक्षा करने वाला साबित होगा और छात्रों का शोषण जारी रहेगा।
