डोल एकादशी पर मथुराधीश प्रभु ने दिए दान बिहारी स्वरूप दर्शन, गुरूवार को वामन द्वादशी उत्सव

Written by : प्रमुख संवाद


कोटा, 3 सितंबर।
शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर में बुधवार को डोल ग्यारस के अवसर पर दान एकादशी बड़े हर्षोल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर शालिग्राम जी के पंचामृत दर्शन कराए गए। श्रीमथुराधीश प्रभु ने मुकुट और काछनी के अलौकिक श्रृंगार धारण कर दान बिहारी के स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। प्रभु के दिव्य दर्शन के लिए दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही।

भोग सामग्री में विशेष रूप से मीठी और नमकीन दही, दूध तथा विभिन्न दुग्ध पदार्थ अर्पित किए गए। दान की सामग्री में दूध श्री स्वामिनीजी के भाव से, दही श्री चन्द्रावलीजी के भाव से, छाछ श्री यमुनाजी के भाव से तथा माखन श्री कुमारिकाजी के भाव से अर्पित किया गया। भोग और आरती में सूखे मेवों से युक्त मिश्री की कणी विशेष रूप से समर्पित की गई।

प्रथम पीठ युवराज मिलन कुमार गोस्वामी ने बताया कि दशमी तक बाल-लीला के पद गाए जाते थे, जबकि एकादशी से प्रतिदिन दान पद गाए जाने की परंपरा आरंभ हो जाती है।

मिलन बावा ने कहा कि दान एकादशी और वामन द्वादशी का उत्सव पुष्टिमार्गीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है। इस अवसर से दान लीला का शुभारंभ होता है, जो ब्रज के प्रेममय दान भाव को प्रकट करती है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण गोपियों से हंसी-ठिठोली के बीच दूध-दही का दान मांगते हैं और गोपियां उन्हें रोकने का प्रयास करती हैं। अंततः भक्त अपना सर्वस्व प्रभु को समर्पित कर प्रसन्न होते हैं। इस सेवा का मूल भाव भगवान और भक्त के बीच सख्य रस को अभिव्यक्त करना है।


वामन द्वादशी गुरुवार को

गुरुवार को मंदिर में वामन द्वादशी उत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर प्रातः 6:30 से 7:15 बजे तक मंगला दर्शन होंगे, दोपहर 12 बजे पंचामृत के दर्शन होंगे और 12.45 पर उत्सव के दर्शन होंगे। जबकि सायं 5:30 बजे उत्थापन, भोग एवं आरती के दर्शन होंगे। इस दिन प्रातः ग्वाल दर्शन नहीं होंगे।

पुष्टिमार्ग परंपरा में भगवान विष्णु के चार अवतार—श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनृसिंह और श्रीवामन—को विशेष मान्यता दी गई है। इस कारण इन चारों अवतारों की जयंती उत्सवपूर्वक मनाई जाती है। वामन जयंती पर अभ्यंग स्नान, पंचामृत सेवा और राजभोग का विशेष क्रम रहेगा।

मिलन बावा ने बताया कि वामन भगवान ने आंशिक पुष्टि लीला की थी, जिसके कारण महाप्रभुजी ने इस जयंती को पुष्टिमार्ग में मान्यता दी। जबकि दानलीला पूर्णतः पुष्टि लीला है। इसी कारण वामन जयंती का श्रृंगार शुक्रवार को किया जाएगा।


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