Written by : Sanjay kumar
जयपुर, 3 सितम्बर।
राजस्थान विधानसभा ने बुधवार को मानसून सत्र के दौरान लंबे विवाद और विपक्षी हंगामे के बीच राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2025 को मंजूरी दे दी। यह कानून अब राज्य में संचालित कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करेगा और छात्रों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करेगा।

बिल की अहम विशेषताएं
- अनिवार्य पंजीयन: 100 या उससे अधिक विद्यार्थियों वाले सभी कोचिंग संस्थानों को अब जिला समिति से पंजीकरण कराना होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर पंजीकरण निरस्त किया जा सकेगा।
- फीस वापसी का अधिकार: यदि कोई विद्यार्थी बीच में पढ़ाई छोड़ देता है, तो उसे शेष ट्यूशन व हॉस्टल फीस वापस करनी होगी।
- कड़ी सजा और जुर्माना:
- पहली गलती पर ₹50,000 का दंड।
- दूसरी बार ₹2 लाख।
- तीसरी बार ₹5 लाख तक का दंड और पंजीयन रद्द।
- जुर्माना न चुकाने पर संपत्ति जब्ती की कार्रवाई।
- मानसिक स्वास्थ्य पर जोर: प्रत्येक संस्थान को स्ट्रेस मैनेजमेंट सेशन नियमित रूप से आयोजित करना होगा ताकि विद्यार्थियों पर दबाव कम किया जा सके।
निगरानी और नियंत्रण व्यवस्था
- राज्य स्तरीय प्राधिकरण: उच्च शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक नियामक निकाय बनेगा। इसमें शिक्षा, पुलिस, वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, अभिभावक प्रतिनिधि और कोचिंग प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस निकाय को सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां प्राप्त होंगी।
- जिला स्तरीय समिति: जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति बनेगी, जिसमें एसपी, नगर निगम आयुक्त, सीएमएचओ, जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति नियमित निरीक्षण कर नियम तोड़ने वाले संस्थानों पर कार्रवाई करेगी।
- शिकायत निवारण प्रणाली: हर जिले में 24×7 कॉल सेंटर और राज्यस्तरीय शिकायत पोर्टल व हेल्पलाइन शुरू की जाएगी।
विधानसभा में विरोध और समर्थन
बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। बहस के दौरान वन मंत्री संजय शर्मा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। हालांकि, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और अन्य मंत्रियों ने स्थिति संभाली और अंततः बिल पारित हो गया।
सरकार का दृष्टिकोण
उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम चंद बैरवा ने कहा कि यह कानून विद्यार्थियों के हित में बनाया गया है और आवश्यकतानुसार इसमें संशोधन संभव है। उनका कहना था कि सरकार का मकसद कोचिंग संस्थानों की मनमानी रोकना और विद्यार्थियों के मानसिक-शैक्षणिक हितों की रक्षा करना है।
पृष्ठभूमि
कोटा समेत राजस्थान लंबे समय से देश का प्रमुख कोचिंग हब है। हर साल लाखों विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यहां आते हैं। पिछले वर्षों में फीस वसूली, दबावपूर्ण माहौल और आत्महत्या की घटनाओं ने गंभीर चिंता पैदा की थी। इसी परिप्रेक्ष्य में यह कानून लाकर राज्य सरकार ने एक ठोस कदम उठाया है।
