कांग्रेस राज में अतिक्रमण ज्यादा, भाजपा शासन में मुक्ति और विकास – संदीप शर्मा

Written by : प्रमुख संवाद


कोटा, 4 सितम्बर। विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन के दौरान वन भूमि पर भूमाफिया का कब्ज़ा बेलगाम रूप से बढ़ा। जितनी ज़मीन अतिक्रमण मुक्त करवाई गई, उससे कहीं अधिक नए कब्ज़े हो गए। वहीं भाजपा सरकार बनने के बाद भूमाफियाओं की कमर तोड़ते हुए बिना किसी भेदभाव के वन भूमि को मुक्त कराया गया।

विधायक शर्मा ने गुरुवार को विधानसभा में वन मंत्री संजय शर्मा से मुलाकात कर आग्रह किया कि कनवास क्षेत्र में अतिक्रमण मुक्त करवाई गई भूमि पर विकसित वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों का बड़ा जमावड़ा लगता है। सैकड़ों प्रजातियों के पक्षियों ने यहां बसेरा बना लिया है। इसलिए इसे भरतपुर स्थित केवलादेव घाना पक्षी अभ्यारण्य की तर्ज पर विकसित किया जाए।

वन भूमि पर बसी बस्तियों का समाधान

उन्होंने यह भी कहा कि कई बस्तियां ऐसी हैं जो आज़ादी से भी पहले की हैं और अब वन भूमि में आ चुकी हैं। इन्हें न तो हटाया जा सकता है और न ही वन्य कार्य करवाए जा सकते हैं। ऐसे में वन विभाग को चाहिए कि वह यह भूमि राजस्व विभाग को सौंप दे और बदले में दूसरी ज़मीन लेकर वहां नया वन विकसित करे। इससे जहां ग्रामीणों को आधारभूत सुविधाएं मिलेंगी, वहीं पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा।

अतिक्रमण मुक्त भूमि पर पौधारोपण व वेटलैंड विकास

वन मंत्री द्वारा दिए गए उत्तर में बताया गया कि पिछले 5 वर्षों में कोटा जिले में 800 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त करवाई गई, जबकि इस अवधि में 308 हेक्टेयर नई भूमि अतिक्रमित हुई।

  • 2020-21 से 2023-24 तक 401 हेक्टेयर भूमि मुक्त हुई, किंतु 295 हेक्टेयर पर पुनः कब्ज़े हो गए।
  • भाजपा शासन के दौरान वर्ष 2024-25 में केवल 13 हेक्टेयर पर नए कब्ज़े हुए, जबकि 391 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया।

अतिक्रमण मुक्त भूमि पर विभाग द्वारा अब तक 26 हज़ार से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। साथ ही कनवास क्षेत्र में 72 हेक्टेयर भूमि पर वेटलैंड विकसित किया गया है।

कानूनी कार्रवाई और भविष्य की योजना

बार-बार कब्ज़ा करने वालों पर वन विभाग द्वारा लगातार नोटिस जारी किए गए हैं और राजस्थान वन अधिनियम, 1953, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 तथा भू-राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत कार्रवाई की जा रही है।

विधायक शर्मा ने यह भी सुझाव दिया कि जिन वन भूमियों पर अभी पौधारोपण नहीं हुआ है, उन्हें स्वयंसेवी संस्थाओं को सौंपकर वन विकास का कार्य तेजी से कराया जाए।


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