Written by : Sanjay kumar
दिनांक: 27 अक्टूबर 2025
स्थान: नई दिल्ली
- आज के दिन Supreme Court of India (एस सी) ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश जारी किया।
- इस मामले में सिर्फ West Bengal एवं Telangana ने हलफनामा दाखिल किया है। बाकी सभी राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों ने अपना अनुपालन नहीं कराया।
- एस सी ने अपनी 22 अगस्त 2025 की आदेश में संविधान अनुसार सभी राज्यों-केन्द्रों को निर्देश दिए थे कि वे आर जेड सी (Animal Birth Control) नियम-अनुसार आवारा कुत्तों की ठोस प्रबंधन रणनीति तैयार करें और अदालत को हलफनामा प्रस्तुत करें।
- अदालत ने कहा है कि इस तरह की अनियमितताओं से देश की सार्वजनिक छवि प्रभावित हो रही है। “क्या आपने अखबार-सोशल मीडिया नहीं देखा?” जैसी तीखी टिप्पणी भी रिकॉर्ड की गई।
- 3 नवंबर को अदालत में उपस्थित न होने की स्थिति में राज्यों के विरुद्ध लागत व अन्य प्रवर्तनात्मक कदम उठाए जाने की चेतावनी भी दी गई है।
- इस मामले की सुनवाई शुरुआत में सिर्फ Delhi‑NCR क्षेत्र के लिए थी पर बाद में एस सी ने इसे पूरे भारत के लिए विस्तारित कर दिया।
- पिछली सुनवाई में अदालत ने निर्देश दिए थे कि:
- आवारा कुत्तों को पकड़कर, स्टेरिलाइज (उत्तजन) व वैक्सीनेट (टीकाकरण) कर उनको उसी इलाके में वापस छोड़ा जाए।
- सार्वजनिक स्थानों पर अनियंत्रित रूप से कुत्तों को खिलाना व चारों ओर छोड़ना मना हुआ है — इससे आम नागरिकों की सुरक्षा प्रभावित हो रही है।
- अदालत ने यह भी कहा कि जानवरों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ मानव सुरक्षा को प्राथमिकता देना होगा — “मानवों के प्रति क्रूरता” की ओर भी ध्यान देना होगा।
- अब राज्यों-केंद्रों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्होंने –
a) आवारा कुत्तों की संख्या का हाल-हवाला व तदनुसार स्टेरिलाइज-वैक्सिनेशन कार्यक्रम लागू किया है।
b) प्रत्येक जिले/नगर में स्पष्ट जिम्मेदारी तय की है (पशु चिकित्सा विभाग, नगर निगम, स्थानीय निकाय)।
c) उस कार्यक्रम की रिपोर्ट/हलफनामा समय पर अदालत को प्रस्तुत किया गया है। - इस निर्देश के अनुपालन से यह सुनिश्चित होगा कि आवारा कुत्तों के कारण होने वाली घटनाओं (कुत्ता काटना, सार्वजनिक भय, संक्रमण) को रोका जा सके और जानवरों के समुचित प्रबंधन से मानव-पशु दोनों की रक्षा हो सके।
- आगे की प्रक्रिया में – 3 नवंबर की सुनवाई के दौरान जिन राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों ने अभी तक हलफनामा नहीं जमा किया है, उन्हें व्यक्तिगत रूप से जवाब देना होगा और यदि कारण संतोषजनक नहीं पाए गए तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा कठोर निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
- इस प्रकार यह मामला सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य-सुरक्षा, नगर प्रबंधन, पशु कल्याण व प्रशासनिक जवाबदेही का अहम विषय बन गया है।
समापन टिप्पणी:
आवारा कुत्तों के मामलों में अब सिर्फ “सुनवाई” का दौर नहीं है, बल्कि व्यवस्थित प्रबंधन-कार्रवाई का युग है। राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों को शीघ्र ही यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्होंने अदालत के आदेशानुसार काम किया है और उस पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है। 3 नवंबर को होने वाली सुनवाई इस दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।
