Written by : Sanjay kumar
नई दिल्ली,7 दिसम्बर 2025। इंडिगो एयरलाइंस द्वारा हाल ही में पैदा किए गए बड़े ऑपरेशनल संकट ने न सिर्फ हजारों यात्रियों को परेशान किया, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाया है। विमानन क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले मंत्रालय और DGCA की स्पष्ट लापरवाही और सतर्कता की कमी ने स्थिति को और भयावह बना दिया। यह संकट केवल एक एयरलाइन की गलती नहीं, बल्कि एक पूरे प्रशासनिक ढांचे की विफलता है।
लगातार उड़ानें रद्द होने, घंटों की देरी, स्टाफ की कमी, और बदइंतज़ामी के कारण यात्रियों को भारी आर्थिक व मानसिक नुकसान उठाना पड़ा। ऐसी स्थिति का विकसित होना अपने आप में दर्शाता है कि मंत्रालय और DGCA ने समय रहते न तो निगरानी की और न ही किसी प्रकार की तैयारी सुनिश्चित की। यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब नियम पहले से लागू थे, तब इन संस्थाओं ने क्यों मॉनिटरिंग नहीं की? यात्रियों के हितों की रक्षा के लिए ज़िम्मेदार संस्थाएँ ही जब सोती रह जाएँ तो ऐसी अव्यवस्था अवश्य उत्पन्न होती है।
एयरलाइन कंपनी की ओर से भी किसी प्रकार की पूर्व-तैयारी, वैकल्पिक स्टाफ प्रबंधन या कंटिजेंसी प्लान तैयार नहीं किया गया। यह स्पष्ट रूप से एक कॉर्पोरेट विफलता है जिसने आम नागरिकों और भारत की प्रतिष्ठा दोनों को नुकसान पहुँचाया। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के बीच भारत के एयरलाइन सिस्टम की नकारात्मक छवि बनी है, जो लंबे समय के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
सवाल यह भी उठता है कि क्या मंत्रालय, DGCA और एयरलाइन प्रबंधन पर कठोर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? जब उनकी विफलता के कारण नागरिकों को आर्थिक हानि, समय की बर्बादी और मानसिक तनाव झेलना पड़ा, तो उनकी जवाबदेही तय होना आवश्यक है। यदि सिस्टम में जिम्मेदारी तय नहीं होती, तो ऐसी घटनाएँ भविष्य में भी दोहराई जाएँगी।
सरकार से यह माँग की जाती है कि इस पूरे मामले की उच्च-स्तरीय जाँच कराई जाए, एयरलाइन कंपनी और नियामक संस्थाओं की विफलता को चिन्हित किया जाए और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही उन यात्रियों को पूर्ण मुआवजा और सुविधा प्रदान की जाए जिन्होंने बिना किसी गलती के कष्ट झेला है।
यह घटना स्पष्ट करती है कि भारत को तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने से पहले अपने विमानन ढांचे, प्रशासनिक सतर्कता और एयरलाइंस के संचालन पर गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा, अन्यथा ऐसी लापरवाहियाँ भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को बार-बार नुकसान पहुँचाती रहेंगी।
