Written by : Sanjay kumar
दिनांक: 27 अप्रैल 2025
स्थान: जयपुर, राजस्थान
राजस्थान सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों को कैशलेस स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना’ (RGHS) में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस योजना के तहत सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया है।
फर्जीवाड़े के प्रमुख तरीके:
1. दवाओं के स्थान पर घरेलू सामान की आपूर्ति:
मेडिकल स्टोर संचालकों ने लाभार्थियों को दवाओं के बदले क्रीम, पाउडर, शर्बत, ठंडाई, हेयर ऑयल, अनारदाना, पाचक गोली, चायपत्ती, टूथपेस्ट, शहद, फेयरनेस क्रीम, साबुन आदि सामान प्रदान किए, जबकि बिल में महंगी दवाएं दर्शाई गईं।
2. फर्जी मरीजों के नाम पर इलाज:
कार्ड धारकों ने अपने नाम पर अन्य लोगों का इलाज कराया। उदाहरणस्वरूप, एक कर्मचारी ने अपने बेटे के नाम पर पर्ची कटवाकर उसके दोस्त का इलाज करवाया।
3. ‘रिश्तों’ का फर्जीवाड़ा:
लगभग 4,400 कर्मचारियों और पेंशनर्स ने अपने बच्चों, सास-ससुर आदि को माता-पिता बताकर योजना का लाभ उठाया। RGHS प्रशासन ने इन सभी के कार्ड ब्लॉक कर दिए हैं।
4. कैंसर दवाओं के नाम पर घोटाला:
जोधपुर में कैंसर दवाओं के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। इसमें डॉक्टरों, मेडिकल स्टोर संचालकों और लाभार्थियों के बीच 25-25-40 प्रतिशत का कमीशन बंटवारा होता था, जबकि 10 प्रतिशत दलालों को मिलता था।
घोटाले में शामिल पक्षों की भूमिका:
डॉक्टरों की भूमिका:
- कुछ डॉक्टरों ने गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, लीवर और किडनी के लिए महंगी दवाओं के फर्जी पर्चे लिखे।
- एक ही मरीज के नाम का बार-बार उपयोग कर फर्जी बिल बनाए गए।
- राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि डॉक्टरों और दुकानदारों की मिलीभगत के बिना यह घोटाला संभव नहीं था, और डॉक्टरों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।
केमिस्ट्स और मेडिकल स्टोर संचालकों की भूमिका:
- 275 मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं और उन्हें RGHS योजना से बाहर कर दिया गया है।
- कुछ केमिस्ट्स ने शिक्षकों के नाम का दुरुपयोग कर डुप्लिकेट फर्जी बिल बनाए।
- वित्त विभाग ने दोषी डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर संचालकों से वसूली की प्रक्रिया शुरू की है।
औषधि विभाग की भूमिका:
- औषधि नियंत्रण प्राधिकरण ने 275 मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द किए हैं।
- औषधि विभाग को फर्जी पर्चों और दवाओं की आपूर्ति की निगरानी के लिए और अधिक सख्ती बरतनी चाहिए।
- ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी को नियमित निरीक्षण और ऑडिट करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों को रोका जा सके।
सरकार की कार्रवाई:
- अब तक 100 से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स के RGHS कार्ड ब्लॉक किए गए हैं, और उनसे 18 प्रतिशत ब्याज सहित राशि की वसूली की जा रही है।
- मेडिपल्स अस्पताल को CGHS योजना से बाहर कर दिया गया है।
- झंवर मेडिकल स्टोर के संचालक जुगल झंवर को गिरफ्तार किया गया है, और 45 लाभार्थियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
- राज्य सरकार ने 275 मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द किए हैं।
- राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं।
घोटाले को रोकने के लिए सुझाव:
1. बायोमेट्रिक सत्यापन:
हर मरीज के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य किया जाए ताकि फर्जी मरीजों का पता लगाया जा सके।
2. इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (EMR):
हर लाभार्थी का इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड तैयार किया जाए ताकि दवाओं और उपचार का पूरा इतिहास उपलब्ध हो।
3. डॉक्टरों और केमिस्ट्स की निगरानी:
डॉक्टरों और केमिस्ट्स के पर्चों और बिलों की नियमित जांच की जाए।
4. औषधि विभाग की सक्रियता:
औषधि विभाग को नियमित निरीक्षण और ऑडिट करना चाहिए ताकि फर्जी दवाओं की आपूर्ति रोकी जा सके।
5. जनता की जागरूकता:
लाभार्थियों को योजना के सही उपयोग के बारे में जागरूक किया जाए और फर्जीवाड़े की जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
जनता से अपील:
सरकार आम जनता से अपील करती है कि वे इस योजना का दुरुपयोग न करें और किसी भी फर्जीवाड़े की जानकारी संबंधित अधिकारियों को तुरंत दें। इस तरह के घोटाले न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि वास्तविक जरूरतमंदों को भी योजना का लाभ नहीं मिल पाता।