Written by : Sanjay kumar
Published : 11 May 2025
1. युद्ध की चिंगारी: पहलगाम आतंकी हमला और जनभावनाओं का विस्फोट
7 मई 2025 से शुरू हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध केवल एक सीमावर्ती संघर्ष नहीं था, बल्कि यह 21वीं सदी की वैश्विक रणनीतिक दिशा को पुनर्परिभाषित करने वाला निर्णायक क्षण बन गया। “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से भारत ने दिखा दिया कि वह अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर निर्णायक उपस्थिति रखने वाला राष्ट्र बन चुका है। इस युद्ध का आरंभ 23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक वीभत्स आतंकी हमले से हुआ, जिसमें 27 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 25 हिंदू पर्यटक शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ ने ली, जिसके बाद भारत की जनभावनाएं आक्रोशित हो उठीं। पाकिस्तान की ओर से किसी भी ठोस कार्रवाई का अभाव और आतंकियों को पनाह देने की उसकी छवि ने भारत को एक निर्णायक और साहसी कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
2. ऑपरेशन सिंदूर: सटीक सर्जिकल स्ट्राइक और आतंकी ढांचों का विध्वंस
भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अंतर्गत पाकिस्तान के भीतर नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल एयर-स्ट्राइक की। इन हमलों में SCALP क्रूज़ मिसाइल, AASM हैमर बम, और अत्याधुनिक राफेल जेट विमानों का इस्तेमाल किया गया। बहावलपुर, मुरिदके और बालाकोट जैसे स्थलों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, जो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के गढ़ माने जाते हैं। भारत ने दावा किया कि इन हमलों में 100 से अधिक आतंकी मारे गए, जिससे आतंकी नेटवर्क को बड़ा झटका लगा।
3. पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और चीन निर्मित हथियारों का इस्तेमाल
जवाब में पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन बुनियान उल मर्सूस’ के तहत भारतीय ठिकानों पर जवाबी हमले किए और यह दावा किया कि उसने पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया, जिसे भारत ने खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने पहली बार चीन निर्मित J-10C विमानों और ड्रोन तकनीक का युद्ध में उपयोग किया।
4. आधुनिक युद्ध की झलक: राफेल बनाम J-10C और ड्रोन युद्धक्षेत्र में
यह युद्ध आधुनिक युद्ध तकनीकों का भी प्रदर्शन बना, जिसमें लगभग 125 से अधिक फाइटर जेट और दर्जनों ड्रोन शामिल हुए। राफेल बनाम J-10C की मुकाबला क्षमता वैश्विक रक्षा विशेषज्ञों के लिए अध्ययन का विषय बन गई।
5. वैश्विक मध्यस्थता: अमेरिका, चीन और खाड़ी देशों की संलिप्तता
युद्ध के तीसरे दिन ही अमेरिका, सऊदी अरब, चीन और यूएई जैसे देशों ने युद्धविराम की पहल शुरू की और 10 मई को अमेरिका की मध्यस्थता में युद्धविराम की घोषणा हुई, हालांकि भारत ने पाकिस्तान पर इस दौरान सीजफायर के उल्लंघन का आरोप भी लगाया।
6. मानवीय संकट और भारत का आतंकवाद विरोधी पक्ष
युद्ध के दौरान और बाद में मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने नागरिकों की हानि और पलायन पर चिंता व्यक्त की। भारत ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूरी और आतंक के विरुद्ध कार्यवाही बताया, जबकि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत पर आक्रामकता का आरोप लगाया, पर उसकी छवि आतंक समर्थक राष्ट्र की बनी रही।
7. कूटनीतिक विजय: भारत को वैश्विक समर्थन, पाकिस्तान अलग-थलग
कूटनीतिक दृष्टिकोण से यह युद्ध भारत के लिए एक बड़ी सफलता सिद्ध हुआ। भारत ने युद्धपूर्व, युद्धकाल और युद्धोपरांत भी G20 और अन्य वैश्विक मंचों पर समर्थन बनाए रखा। फ्रांस, रूस, जापान और अमेरिका ने भारत के रुख को समझा और समर्थन भी दिया। इसके उलट पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया।
8. अमेरिका-चीन की रणनीति: मध्यस्थता बनाम क्षेत्रीय कूटनीति
अमेरिका ने इस युद्ध के दौरान युद्धविराम में मध्यस्थ की भूमिका निभाई लेकिन उसकी दक्षिण एशिया नीति की स्थायित्वहीनता उजागर हुई। हालांकि, अमेरिका अब भारत को चीन के संतुलन के रूप में अधिक महत्व देने लगा है। वहीं चीन ने पाकिस्तान को तकनीकी सहायता दी और ड्रोन तथा J-10C जैसे उन्नत हथियार उपलब्ध कराए, लेकिन भारत से सीधे टकराव से बचा।
9. वैश्विक बाज़ारों में हलचल: भारत सुरक्षित निवेश गंतव्य बना
इस युद्ध के प्रभाव वैश्विक बाजार और निवेश की दिशा में भी देखने को मिले। भारत की तकनीकी, सामरिक और राजनीतिक स्थिरता ने विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ाया। अमेरिका, यूरोप, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अब भारत में रक्षा, एयरोस्पेस, और साइबर टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में निवेश के लिए उत्साहित हैं।
10. पाकिस्तान की आर्थिक तबाही और वैश्विक अविश्वास
पाकिस्तान को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है। उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा, पाकिस्तानी रुपया कमजोर हुआ और शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। उसे IMF और चीन से अधिक कर्ज की आवश्यकता पड़ी।
11. शक्ति संतुलन और भारत का वैश्विक उदय
इस युद्ध में किसे कितना लाभ और हानि हुई, यह इस प्रकार समझा जा सकता है: भारत को आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक समर्थन प्राप्त हुआ, उसका रणनीतिक वर्चस्व मजबूत हुआ और निवेशकों का भरोसा बढ़ा, हालांकि सीमावर्ती नागरिकों की हानि और सैन्य खर्च चिंता का विषय रहे। पाकिस्तान को चीन का समर्थन तो मिला लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलगाव, आर्थिक पतन और आतंकवाद के समर्थन की छवि ने उसे कमजोर किया।
12. निष्कर्ष: भारत की निर्णायक रणनीति ने दुनिया की दिशा बदली
“ऑपरेशन सिंदूर” केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह भारत के नए वैश्विक स्वरूप, रणनीतिक आत्मनिर्भरता, कूटनीतिक कुशलता और आतंकवाद के विरुद्ध असहिष्णु नीति का उद्घोष था। यह युद्ध भविष्य की वैश्विक व्यवस्था में भारत की निर्णायक भूमिका का संकेत है, जो अब सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहने वाला।