Written by : Sanjay kumar
सीकर : 20 मई 2025
मैं हूँ गीता समोटा — राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से गांव ‘चक’ की बेटी। आज जब मैं दुनिया की सबसे ऊँची चोटी, माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) पर खड़ी हूँ, तो यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि हर उस लड़की की जीत है जो सपने देखती है, संघर्ष करती है और कभी हार नहीं मानती।
चार बहनों वाले एक साधारण ग्रामीण परिवार में जन्मी मैं, हमेशा से कुछ अलग करना चाहती थी। बचपन में जब लड़कों की उपलब्धियों के किस्से सुनती थी, तो मन में एक सवाल उठता था — क्या लड़कियाँ कुछ बड़ा नहीं कर सकतीं? यही सवाल धीरे-धीरे मेरे भीतर एक आग बन गया — कुछ कर दिखाने की, खुद को साबित करने की।
खेल मेरा पहला प्यार था। कॉलेज में हॉकी खेलती थी, लेकिन एक गंभीर चोट ने मेरा खेल करियर खत्म कर दिया। उस मोड़ पर मैं टूट सकती थी, लेकिन मैंने खुद को फिर से खड़ा किया। 2011 में CISF से जुड़ना मेरे जीवन का अगला बड़ा कदम था। शुरुआत में ही जब देखा कि पर्वतारोहण की दिशा में बल में कोई खास पहल नहीं है, तो मैंने इसे एक चुनौती नहीं, बल्कि अवसर की तरह लिया।
2015 में ITBP के औली ट्रेनिंग सेंटर में मुझे बेसिक पर्वतारोहण कोर्स के लिए चुना गया। पूरे बैच में मैं अकेली महिला थी। उस कठिन ट्रेनिंग ने मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से बदल दिया। 2017 में एडवांस कोर्स पूरा करने वाली मैं पहली CISF कर्मी बनी। वहीं से मेरा सफर शुरू हुआ — चोटियों को जीतने का सफर।
2019 में मैंने माउंट सतोपंथ और माउंट लोबुचे की चढ़ाई की। फिर 2021 में “Seven Summits” का सपना देखा — सात महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों को फतह करने का। छह महीने और 27 दिनों में मैंने ऑस्ट्रेलिया, रूस, तंजानिया और अर्जेंटीना की चोटियाँ पार कीं। फिर लद्दाख में महज़ तीन दिनों में पाँच चोटियाँ फतह कर एक नया कीर्तिमान रच दिया।
एवरेस्ट की चढ़ाई की तैयारी आसान नहीं थी — शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से हर दिन एक परीक्षा थी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। आज जब मैं एवरेस्ट की चोटी पर हूँ, तो यह उस मेहनत, उस जुनून और उस संकल्प की जीत है जो मेरे भीतर हर दिन जलता रहा।
मेरी इस यात्रा में CISF का सहयोग अतुलनीय रहा। ट्रेनिंग से लेकर संसाधनों तक, हर कदम पर बल ने मेरा साथ दिया। आज मेरी इस सफलता ने बल की पहली महिला एवरेस्ट विजेता बना दिया है और मुझे गर्व है कि मैं CISF की इस नई परंपरा की शुरुआत कर पाई।
मुझे कई पुरस्कार मिले — दिल्ली महिला आयोग से सम्मान, नागरिक उड्डयन मंत्रालय से “Giving Wings to Dreams Award” — लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है उन लड़कियों की आँखों में चमक देखना, जो अब खुद को सीमित नहीं मानतीं।
मैं बस इतना कहना चाहती हूँ —
“बड़े सपने देखो, पूरी ताक़त से मेहनत करो और कभी हार मत मानो। पहाड़ लिंग नहीं देखते, केवल जुनून और जज़्बा देखते हैं।”
अब जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो हर चोट, हर संघर्ष, हर आँसू — सब कुछ इस एक पल के लिए था।
मैं गीता समोटा हूँ — CISF की बेटी, भारत की बेटी — और अब एवरेस्ट विजेता भी।