Written by : प्रमुख संवाद
छपरा (बिहार), 31मई 2025
भारत के सैन्य इतिहास में वीरता और बलिदान की प्रतीक रेजांगला रज कलश यात्रा आज एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक चेतना का स्वरूप ले चुकी है। यह यात्रा, जो कि 1 लाख किलोमीटर की ऐतिहासिक दूरी तय करने जा रही है, भारतीय इतिहास की पहली ऐसी पहल है, जो अहीर समाज की एकजुटता, गौरव और आत्मसम्मान का प्रतीक बनकर उभरी है।
अखिल भारतवर्षीय महासचिव दिनेश यादव ने बताया कि यह यात्रा बिहार के छपरा से प्रारंभ हुई और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे कई राज्यों से होती हुई नवंबर 2025 में नई दिल्ली के जंतर मंतर पर ऐतिहासिक समापन करेगी।
इस यात्रा का उद्देश्य भारतीय सेना में वीर अहीर सपूतों के योगदान को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाना और उनके बलिदान को उचित सम्मान दिलाना है। यह यात्रा 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांगला की वीरगाथा को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बन रही है, जहां अहीर जवानों ने अद्वितीय पराक्रम और बलिदान का परिचय दिया था।
यात्रा के प्रमुख उद्देश्य:
- “अहीर रेजिमेंट” की स्थापना की मांग को राष्ट्रीय मुद्दा बनाना।
- युवाओं में समाज के प्रति जागरूकता और नेतृत्व की भावना का विकास।
- समाज के प्रत्येक वर्ग—युवा, महिलाएं, बुजुर्ग—को समान रूप से जोड़कर एकता को मजबूत करना।
दिनेश यादव ने कहा कि यह यात्रा मात्र एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि अहीर समाज के स्वाभिमान, चेतना और अस्तित्व की पुनःस्थापना का आंदोलन है। उन्होंने समाज के सभी लोगों से आग्रह किया कि वे अपने नाम के साथ ‘यादव’ या ‘अहीर’ शब्द का गर्व से प्रयोग करें ताकि समाज की पहचान और एकता को बल मिल सके।
उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को राजनीति में भागीदारी के लिए प्रेरित किया और कहा कि यदि कोई राजनीतिक दल समाज को उचित प्रतिनिधित्व नहीं देता, तो समाज को चाहिए कि वह निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन देकर अपनी राजनीतिक ताकत साबित करे।
यात्रा में जगह-जगह कलश पूजन, श्रद्धांजलि सभा, जन संवाद, सामाजिक संगोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं, जिनमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं। महिला सहभागिता इस आंदोलन को और भी ऊर्जावान बना रही है।
यात्रा की विशेषताएं:
- यात्रा के माध्यम से समाज को इतिहास, बलिदान और संगठन की भावना से जोड़ा जा रहा है।
- रेजांगला की मिट्टी (रज) से भरे कलश, देश के अलग-अलग हिस्सों में सम्मान के साथ यात्रा कर रहे हैं।
- यह यात्रा राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का संगम बन गई है।
दिनेश यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी एक संगठन या व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे अहीर समाज की आवाज है और जब तक “अहीर रेजिमेंट” की स्थापना नहीं होती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए गौरव, प्रेरणा और संघर्ष की जीती-जागती मिसाल बन रही है। रेजांगला रज कलश यात्रा, अब केवल एक सफर नहीं बल्कि अहीर चेतना का जनजागरण है।