ACB का एक्शन: झालावाड़ एसीबी चौकी प्रभारी ASP जगराम मीणा 9.35 लाख की नकदी के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार

Written by : Sanjay kumar


घर से 40 लाख नकद, शराब की बोतलें और जेवरात भी बरामद

जयपुर, 28 जून 2025
राजस्थान में भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने शुक्रवार रात जयपुर में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। इस बार एसीबी के ही झालावाड़ स्थित चौकी प्रभारी सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) जगराम मीणा को 9.35 लाख रुपए की संदिग्ध नकदी के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया है।

भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचारियों के पहरे!

चौंकाने वाली बात यह है कि यह अधिकारी वही है जिसे ACB ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए नियुक्त किया था, लेकिन वही अधिकारी कथित रूप से ‘बंधी वसूली’ जैसे गंभीर आरोपों में फंस गया। ACB मुख्यालय ने शिकायत और खुफिया निगरानी के बाद यह कार्रवाई की। ASP जगराम मीणा की कार को जयपुर के शिवदासपुरा टोल नाके पर रोका गया, जहां तलाशी के दौरान 9.35 लाख रुपये की नकदी मिली, जिसका कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

घर से और भी चौंकाने वाली बरामदगी

जैसे ही मीणा को टोल पर पकड़ा गया, ACB की दूसरी टीम उनके जगतपुरा स्थित निवास पर छानबीन के लिए पहुंची। वहां 40.05 लाख रुपए नकद, 45 शराब की बोतलें, सोने-चांदी के आभूषण और एक प्लॉट के दस्तावेज बरामद किए गए। रातभर तलाशी अभियान चलता रहा।

दो महीने से चल रही थी निगरानी

DIG राजेश सिंह के अनुसार दो माह पूर्व झालावाड़ में ASP जगराम मीणा के खिलाफ बंधी वसूली की शिकायत मिली थी। इसके बाद ASP पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ की टीम ने उन पर कड़ी निगरानी शुरू की। टीम पहले भी दो बार पकड़ने की कोशिश कर चुकी थी, लेकिन मीणा हर बार बच निकलता था।

भीलवाड़ा तबादले से पहले वसूली का आखिरी दौर

सूत्रों के अनुसार मीणा का तबादला हाल ही में भीलवाड़ा किया गया था, लेकिन वह अभी तक झालावाड़ से रिलीव नहीं हुआ था। आशंका है कि वह भीलवाड़ा रवाना होने से पहले ‘आखिरी बंधी’ वसूलकर जयपुर लौट रहा था। उसी दौरान ACB की टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ने के लिए शिवदासपुरा टोल नाके पर जाल बिछाया।

थाने में चल रही पूछताछ, खुल सकते हैं बड़े नाम

एएसपी मीणा से शिवदासपुरा थाने में देर रात तक पूछताछ चलती रही। प्रारंभिक पूछताछ में यह रकम विभिन्न विभागों के अधिकारियों से ‘बंधी’ के रूप में लेने की बात सामने आ रही है। संभावना है कि पूछताछ में कई अन्य अधिकारी और रसूखदार नाम भी उजागर हो सकते हैं।


पिछले मामलों में भी ACB अधिकारी रहे हैं लिप्त

यह पहला मौका नहीं है जब भ्रष्टाचार से लड़ने वाली एजेंसी के खुद के अधिकारी ही इसकी चपेट में आए हों। ACB के इतिहास में पहले भी कई चौंकाने वाले मामले सामने आ चुके हैं:

  • 2022, अजमेर: ACB के तत्कालीन इंस्पेक्टर को 1.25 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था।
  • 2023, बीकानेर: ACB में तैनात एक सब-इंस्पेक्टर को शिकायतकर्ता से केस कमजोर करने के एवज में 70 हजार की मांग करते हुए पकड़ा गया था।
  • 2024, कोटा: एक भ्रष्टाचार के बड़े मामले में ACB के भीतर ही सूचना लीक करने वाले अधिकारी को निलंबित किया गया था।
  • 2025, सवाई माधोपुर: ACB के तत्कालीन निरीक्षक को रेलवे ठेकेदार से महीनों से मासिक ‘बंधी’ वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांच में सामने आया था कि अधिकारी विभागीय कार्रवाई से बचाने और टेंडर प्रक्रिया में सहयोग के बदले मोटी रकम लेता था। इस प्रकरण में ठेकेदार की रिकॉर्ड की गई बातचीत ने खुलासा किया था, जिसके बाद ACB को अपनी ही टीम के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी थी।

इन मामलों ने एजेंसी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। अब जब झालावाड़ चौकी प्रभारी खुद ही फंस गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि एसीबी के भीतर भी अंदरूनी सफाई की जरूरत है।


जनता की उम्मीदों को ठेस, सिस्टम पर सवाल

जनता भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ACB की ओर देखती है, लेकिन जब वही विभाग संदिग्ध बन जाए, तो यह एक बड़ी विडंबना है। इस मामले ने न केवल ACB की साख को प्रभावित किया है, बल्कि यह पूरे पुलिस तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

[ACB मुख्यालय ने इस प्रकरण की पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और जांच में शामिल हर व्यक्ति पर कार्रवाई का संकेत दिया है।]


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