Written by : प्रमुख संवाद
कोटा, 3 जुलाई।
श्री रामधाम सेवा आश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित गुरूपूर्णिमा महोत्सव का शुभारंभ गुरुवार को सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के साथ हुआ। आश्रम में यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और धार्मिक उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
गुरुवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में बड़ा भक्तमाल अयोध्याजी के पीठाधीश्वर एवं श्री रामधाम सेवा आश्रम ट्रस्ट के संस्थापक अवधेश कुमाराचार्य जी महाराज ने बताया कि कथा व्यास डॉ. राजेश मिश्रा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक श्रीमद् भागवत कथा का वाचन करेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत भव्य पोस्टर विमोचन से हुई, जिसमें कई गणमान्य जन उपस्थित रहे।
यज्ञोपवीत संस्कार शुक्रवार को
कार्यक्रम की अगली कड़ी में शुक्रवार, 4 जुलाई को भक्तमाल वेद विद्यालय के बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार आयोजित किया जाएगा। सुबह 6 बजे भद्र, 8 बजे जनेऊ संस्कार व हवन, तथा 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक यज्ञोपवीत विधि सम्पन्न होगी। इस दौरान बटुकों को उनके माता-पिता, मामा, नाना-नानी आदि द्वारा आशीर्वाद प्रदान किया जाएगा।
उत्सव की भावनात्मक झलकियाँ
- 4 जुलाई: श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
- 7 जुलाई (सोमवार): गोवर्धन पूजन
- 8 जुलाई (मंगलवार): रूकमणी विवाह
- 9 जुलाई: सुदामा चरित्र एवं कथा विश्राम
- 10 जुलाई: गुरु पूजन और विशाल आम भण्डारा
ट्रस्ट के मुख्य पुजारी लक्ष्मणदास जी महाराज ने जानकारी दी कि प्रत्येक दिन श्रद्धालु महाराज श्री के नित्य दर्शन और आशीर्वचन का लाभ ले सकेंगे।
पत्रकार वार्ता में पूर्व महापौर सुमन श्रृंगी, समाजसेवी हौसला प्रसाद शुक्ला, रमेश गुप्ता सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
“कथा से मिलता है जीवन को मार्गदर्शन” – अवधेश कुमाराचार्य जी महाराज
आचार्य श्री ने कहा कि आत्मकल्याण और सामाजिक शुद्धि के लिए कथाएं अत्यंत आवश्यक हैं। आज समाज में जो विकृतियाँ देखने को मिल रही हैं, उनका समाधान आध्यात्मिक ज्ञान और कथा श्रवण से संभव है। उन्होंने कहा कि कथावाचक किसी भी जाति से हो सकता है, किंतु उसे वेद-पुराणों का ज्ञान और अनुशासित जीवन आवश्यक है।
आचार्य श्री ने जोर देते हुए कहा कि व्यक्ति कर्म और ज्ञान के बल पर ही पूजनीय बनता है, जाति एक सामाजिक व्यवस्था है, लेकिन सफलता का मार्ग केवल कौशल, ज्ञान और आचरण से ही प्राप्त होता है। जिस प्रकार आईएएस, डॉक्टर, इंजीनियर बनने के लिए कठोर परिश्रम और परीक्षा की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार एक सच्चा कथावाचक बनने के लिए शास्त्रों का गहन अध्ययन अनिवार्य है।