Written by : Sanjay kumar
भजनलाल सरकार का ऐतिहासिक निर्णय, सौर ऊर्जा से जुड़ेगा हर घर
जयपुर, 31 अगस्त।
राजस्थान सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बिजली क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में रविवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमंडल एवं मंत्रिपरिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया कि मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना के अंतर्गत अब उपभोक्ताओं को 100 यूनिट की जगह 150 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।

बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने संयुक्त प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि यह योजना प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के साथ जोड़कर लागू होगी। इसका उद्देश्य प्रदेश के उपभोक्ताओं को सस्ती, सुलभ एवं हरित ऊर्जा उपलब्ध कराना और उन्हें “ऊर्जादाता” बनाना है।
योजना से जुड़े प्रमुख बिंदु
- लाभार्थियों की संख्या: राज्य के लगभग 1.04 करोड़ पंजीकृत घरेलू उपभोक्ता इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।
- मुफ्त बिजली की सीमा: अब प्रतिमाह 150 यूनिट तक बिजली पूरी तरह निशुल्क।
- सौर संयंत्र की स्थापना:
- जिन परिवारों की मासिक खपत 150 यूनिट से अधिक है, उनके घरों पर 1.1 किलोवाट क्षमता के रूफटॉप सोलर पैनल मुफ्त लगाए जाएंगे।
- इसके लिए प्रति संयंत्र 33,000 रुपए केंद्र सरकार और 17,000 रुपए राज्य सरकार की सहायता से कुल लागत पूरी तरह सब्सिडी में वहन की जाएगी।
- कुल उत्पादन क्षमता: लगभग 27 लाख घरों में सोलर पैनल लगाने से 3,000 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा क्षमता सृजित होगी।
दो श्रेणियों में लागू होगी योजना
- प्रथम श्रेणी: ऐसे लाभार्थी परिवार जिनके पास अपनी छत उपलब्ध है। डिस्कॉम्स द्वारा चयनित वेंडर्स के माध्यम से उनके घरों पर निशुल्क 1.1 किलोवाट क्षमता के रूफटॉप सोलर संयंत्र लगाए जाएंगे।
- द्वितीय श्रेणी: ऐसे पंजीकृत उपभोक्ता जिनके पास छत उपलब्ध नहीं है। उनके लिए डिस्कॉम्स सामुदायिक सोलर संयंत्र स्थापित करेंगे और वर्चुअल नेट मीटरिंग के जरिए उन्हें प्रतिमाह 150 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी। इस पर आने वाला समस्त खर्च डिस्कॉम्स द्वारा वहन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री की मंशा
राज्य सरकार ने बजट 2025-26 में इस योजना की घोषणा करते हुए स्पष्ट किया था कि इसका उद्देश्य न केवल आम उपभोक्ताओं को राहत देना है बल्कि राजस्थान को हरित ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाना भी है। सामुदायिक संयंत्रों की व्यवस्था उन परिवारों के लिए की गई है जिनके पास निजी छत उपलब्ध नहीं है, ताकि “किसी भी पात्र परिवार को योजना से वंचित न रहना पड़े।”
