गीता भवन में गूंजे गीता के अष्टदाश श्लोक, सिखाया कर्मयोग का पाठ

Written by : प्रमुख संवाद

कोटा, 1 दिसम्बर।
गीता सत्संग आश्रम समिति द्वारा गीता भवन में चल रहे 65वें गीता जयंती महोत्सव के तीसरे दिन सोमवार को गीता जयंती मनाई गई। इस दौरान श्रीकृष्ण चैतन्य प्रेम भक्ति संकीर्तन के सौजन्य से प्रभात फेरी निकाली गई। जिओ गीता परिवार के साथ अष्टादश श्लोकी गीता हवन संपन्न हुआ। जिसमें गीता जी के अष्टादश श्लोकों का उच्चारण करते हुए आहुतियां दी गईं।

अध्यक्ष गोवर्धन खंडेलवाल ने बताया कि दोपहर को विभिन्न स्थानों से पधारे संतों के प्रवचन हुए।प्रयागराज के स्वामी सर्वेश प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि कर्मयोग सफलता का सूत्र है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कर्मयोग को इस जगत का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बताया है। कर्मयोग का तात्पर्य है आसक्ति रहित होकर निष्काम भाव से पुरुषार्थ करना है। गंगा शरण आश्रम वृंदावन के आचार्य योगेश्वर महाराज ने कहा कि इस पवित्र ग्रंथ से छात्रों और युवा वर्ग को कर्म, कर्तव्य, निष्ठा, दायित्व व राष्ट्र भक्ति का सन्देश मिलता है। साथ ही साथ समृद्ध संस्कृति और परम्परा से परिचित होते हैं। संत राम महाराज मछलाना अलोट वालों ने कहा कि गीता पूरी मानवता को जीवन की नई राह दिखाती है। गीता किसी एक मत पंथ संप्रदाय का पवित्र ग्रंथ नहीं है। इसमें समस्त प्राणी जगत के कल्याण की अनूठी वैश्विक प्रेरणा निहित है। यह पवित्र ग्रंथ मनुष्य के सामाजिक, पारिवारिक जीवन के साथ-साथ योगी जीवन जीने के लिए एक आदर्श है।

प्रवक्ता संजय गोयल ने बताया दूसरे दिन मगंलवार को गीता जयंती पर दोपहर 2:30 बजे से पुष्टिधर्म के विद्वान गोस्वामी शरद कुमार के गीता भवन मे प्रवचन होंगे। इस अवसर पर उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार, रामेश्वर प्रसाद विजय, भगवती प्रसाद, आदित्य शास्त्री, रामेश्वर गुप्ता, जीडी पटेल, महेंद्र मित्तल सह सचिव, कृष्ण अवतार रावत समेत कईं लोग मौजूद रहे।

गीता के तीन श्लोकों का हुआ सामूहिक वाचन
संयोजक भगवती प्रसाद खंडेलवाल ने बताया कि संतों व गणमान्य नागरिकों, विद्यार्थियों के सान्निध्य में एक साथ 1 मिनट गीता पाठ होगा। जिसके तहत् गीता के तीन श्लोकों का पठन और वाचन किया गया। सामूहिक रुप से अध्याय 1 के श्लोक 1, अध्याय 9 के श्लोक 22 और अध्याय 18 के श्लोक 78—का उच्चारण किया गया। इसी के साथ राम धाम के वेदपाठी बटुकों ने भी गीता का पठन किया।

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