Written by : Sanjay kumar
जयपुर, 01 दिसम्बर। राजस्थान के चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से कोई विशेष राहत नहीं मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुनवाई से इनकार करते हुए स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े सभी कानूनी पहलू अब ट्रायल कोर्ट, जयपुर में ही तय किए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट की दो-जज खंडपीठ—जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई—ने एक नवंबर 2024 के पूर्व आदेश को बरकरार रखा। अदालत ने यह भी कहा कि धारीवाल के खिलाफ गिरफ्तारी या दंडात्मक कार्रवाई पर लगी रोक तब तक बनी रहेगी, जब तक एसीबी कोर्ट में लंबित प्रोटेस्ट पिटीशन और क्लोजर रिपोर्ट का निपटारा नहीं हो जाता। हालांकि, जांच प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं होगी और एजेंसी को जांच जारी रखने की अनुमति रहेगी।
धारीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल उपस्थित रहे, जबकि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने पक्ष रखा। इंटरवीनर पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कुंवर सुल्तान सिंह सहित अन्य अधिवक्ता भी मौजूद थे।
ट्रायल कोर्ट करेगा क्लोजर रिपोर्ट व प्रोटेस्ट पिटीशन पर अंतिम निर्णय
राजस्थान हाई कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि—
- क्लोजर रिपोर्ट,
- प्रोटेस्ट पिटीशन,
- राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत अतिरिक्त जांच रिपोर्ट,
- तथा क्लोजर रिपोर्ट वापस लेने के आवेदन
—इन सभी बिंदुओं पर अंतिम निर्णय विशेष न्यायालय (पीसी एक्ट), जयपुर ही करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इन निर्देशों को यथावत रखते हुए धारीवाल की याचिका को खारिज कर दिया।
प्रकरण की पृष्ठभूमि
मामला वर्ष 2011 से संबंधित है, जब जेडीए द्वारा गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया गया था। आरोप है कि पूर्व में मौजूद रिजेक्शन की जानकारी के बिना नया पट्टा जारी किया गया, जिससे गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की आशंकाएँ सामने आईं।
साल 2013 में परिवादी रामशरण सिंह द्वारा एसीबी में शिकायत दी गई, जिसके बाद जांच तेज हुई और तत्कालीन एसीएस जी.एस. संधू सहित छह लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। इस प्रक्रिया में तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी जांच दायरे में आए।
आगे की स्थिति
अब मामला पूरी तरह से विशेष कोर्ट, जयपुर के अधीन है।
कोर्ट आगामी दिनों में—
- प्रोटेस्ट पिटीशनों,
- पुरानी व नई क्लोजर रिपोर्टों,
- और राज्य सरकार की अतिरिक्त जांच रिपोर्टों
पर सुनवाई कर अंतिम निर्णय देगा। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार से जुड़े इस प्रकरण की जांच और निर्णय की अंतिम ज़िम्मेदारी अब ट्रायल कोर्ट के पास ही है।
