इंडिगो के परिचालन संकट की पूरी कहानी: कैसे बने हालात गंभीर और कब मिलेगी राहत?


Written by : Sanjay kumar
दिनांक: 06 दिसंबर 2025

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों अपने इतिहास के सबसे जटिल परिचालन संकट से गुजर रही है। पिछले कुछ दिनों में हजारों उड़ानें रद्द और विलंबित होने के कारण देशभर के बड़े हवाई अड्डों पर अभूतपूर्व अव्यवस्था देखी गई। यात्रियों की भारी भीड़, लंबी कतारें और अस्थिर उड़ान शेड्यूल ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। यह संकट अचानक नहीं पैदा हुआ, बल्कि कई कारकों के एक साथ टकराने से यह हालात बने।

इंडिगो पिछले कुछ हफ्तों से लगातार फ्लाइट देरी और छोटी-मोटी तकनीकी चुनौतियों का सामना कर रही थी। एयरलाइन इन समस्याओं के लिए कभी मौसम और कभी एयरपोर्ट की ट्रैफिक को जिम्मेदार ठहरा रही थी। लेकिन वास्तविक दबाव उस समय शुरू हुआ जब DGCA ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नए नियम लागू किए। इन नियमों के तहत पायलटों को निर्धारित आराम अवधि देना अनिवार्य कर दिया गया, जिससे रात की उड़ानों, लगातार ड्यूटी और साप्ताहिक आराम से जुड़े मानकों में सख्ती आ गई।

हालांकि यह नियम पहले से घोषित थे, लेकिन इंडिगो इन परिवर्तनों के अनुरूप पायलट और केबिन क्रू की संख्या बढ़ाने, रोस्टर तैयार करने और वैकल्पिक प्रबंधन सुनिश्चित करने में असफल रही। मौजूदा स्टाफ पहले ही अत्यधिक व्यस्त शेड्यूल में काम कर रहा था, और नए नियम लागू होते ही बड़ी संख्या में पायलटों को अनिवार्य आराम पर भेजना पड़ा। परिणामस्वरूप उड़ान संचालन का संतुलन एकदम बिगड़ गया।

इसी बीच रात के समय एयरबस A320 विमान परिचालन से जुड़े कुछ सुरक्षा अलर्ट सामने आए, जिनके कारण देर रात की कई उड़ानें तत्काल रद्द करनी पड़ीं। नए FDTL नियम पहले से ही प्रभाव में थे, इसलिए एक साथ बड़ी संख्या में उड़ानें प्रभावित हो गईं और धीरे-धीरे पूरा शेड्यूल चरमरा गया। बड़े नेटवर्क वाली एयरलाइन होने के कारण, एक हिस्से की लय बिगड़ते ही पूरा सिस्टम प्रभावित होता चला गया।

देशभर में यात्रियों की बढ़ती नाराजगी के बीच पायलट यूनियन ने भी मैनेजमेंट पर सवाल उठाए और कहा कि एयरलाइन को नियमों की जानकारी पहले से थी, फिर भी अतिरिक्त स्टाफिंग और तैयारी नहीं की गई। दूसरी ओर एयरलाइन ने सफाई दी कि नियमों के अचानक लागू होने से दबाव बढ़ा और वे स्थिति को सामान्य करने के लिए तेजी से कदम उठा रहे हैं।

विवाद बढ़ने पर DGCA ने राहत देते हुए उन प्रावधानों को अस्थायी रूप से वापस ले लिया, जिनमें साप्ताहिक आराम को छुट्टी से बदला नहीं जा सकता था। इस कदम से पायलट रोटेशन की प्रक्रिया थोड़ी आसान हुई और एयरलाइन को परिचालन स्थिर करने में कुछ सहायता मिली। DGCA ने आपात स्थिति को देखते हुए इंडिगो से 30 दिनों के भीतर एक विस्तृत कार्ययोजना भी मांगी है, जिसमें स्टाफिंग, रोस्टर प्रबंधन, सुरक्षा मानकों और संचालन की निरंतरता का विवरण शामिल होगा।

इंडिगो ने दावा किया है कि स्टाफ भर्ती, प्रशिक्षण और शेड्यूल पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है और कुछ दिनों में उड़ान संचालन सामान्य स्थिति में लौट आएगा। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी अव्यवस्था को पूरी तरह संतुलित होने में अभी समय लगेगा और एयरलाइन को भविष्य में ऐसे संकट से बचने के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करनी होगी।

अंततः, मौसम, तकनीकी चुनौतियां, स्टाफ-शॉर्टेज और सख्त सरकारी नियम—इन सभी कारणों के संयुक्त प्रभाव ने देश की सबसे बड़ी एयरलाइन को कठिन स्थिति में पहुंचा दिया। सरकार और DGCA की त्वरित हस्तक्षेप के बाद सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं, लेकिन यात्रियों की असुविधा, बढ़ते खर्च और अव्यवस्था ने एयरलाइन के प्रति विश्वास को कमजोर किया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इंडिगो किस गति और दक्षता से स्थिति को सामान्य कर पाती है।


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