Written by : प्रमुख संवाद
कोटा, 15 मई।
शहर के भीमगंजमंडी थाना क्षेत्र में हुई एक चोरी की वारदात ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासी सुरेंद्र सिंह बत्रा के घर से 37 ग्राम सोने का कंगन चोरी हो गया। उन्होंने 8 मई को थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई और दो व्यक्तियों – घरेलू काम करने वाली महिला मीरा व पेंटिंग कार्य करने वाला पेंटर पप्पू – को संदेह के घेरे में बताया। इसके बावजूद, सात दिन बीतने के बाद भी पुलिस ने किसी भी संदिग्ध से पूछताछ नहीं की है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि कॉन्स्टेबल लोकेश ने उनके बयान दर्ज किए, लेकिन संदिग्धों को बुलाकर एक बार भी सवाल-जवाब नहीं किया गया। भीमगंजमंडी थाने के एएसआई मोहम्मद अब्दुल रशीद ने बताया कि जांच की जिम्मेदारी कॉन्स्टेबल लोकेश को सौंपी गई थी। जब उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने “व्यस्तता” का हवाला देकर अब तक की कोई कार्रवाई न होने की पुष्टि की।
महिला स्टाफ नहीं, तो कार्रवाई नहीं?
लोकेश ने महिला संदिग्ध से पूछताछ न करने के पीछे यह तर्क दिया कि उनके पास महिला पुलिसकर्मी उपलब्ध नहीं थी। लेकिन पेंटर पप्पू, जो पुरुष है, उससे भी कोई पूछताछ क्यों नहीं हुई – इसका कोई जवाब पुलिस के पास नहीं है।
क्या ‘व्यस्तता’ अब लापरवाही का बहाना बन गई है?
इस मामले ने यह बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया है कि पुलिस चोरी जैसी घटनाओं को लेकर कितनी गंभीर है। शिकायत में संदिग्धों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज होने के बावजूद यदि एक सप्ताह तक कोई कार्रवाई नहीं होती, तो इससे अपराधियों को क्या संकेत मिलते हैं?
क्राइम कंट्रोल सिर्फ भाषणों में?
पुलिस की प्राथमिकता और कार्यक्षमता पर इस मामले ने गहरा सवाल उठाया है। जब एक साधारण चोरी की घटना में भी समय पर पूछताछ नहीं होती, तो अपराध की गंभीर घटनाओं में क्या अपेक्षा की जाए?
अब देखना यह है कि क्या कोटा पुलिस इस मामले में सक्रियता दिखाएगी या फिर यह फाइलों में दबी एक और शिकायत बनकर रह जाएगी?