Written by : Sanjay kumar
कोटा, 19 जुलाई।
शहर के सबसे व्यस्ततम और शिक्षित इलाके महावीर नगर प्रथम में स्थित महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम सीनियर सैकेंडरी स्कूल का प्राइमरी विंग बदहाली का जीवंत उदाहरण बन चुका है। जहां बच्चों के खेलकूद और शिक्षा की गतिविधियाँ होनी चाहिए, वहां आज सूअर घूम रहे हैं, मैदान गंदगी से पट चुका है और स्कूल की चारदीवारी के अभाव में असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है।




एक सरकारी स्कूल की यह हालत देखकर हर संवेदनशील नागरिक का सिर शर्म से झुक जाए।
मक्खियों और बदबू के बीच पलता बचपन
बच्चों के खेलने के मैदान में सड़ा-गला खाना फेंका जा रहा है, जिससे वहां सूअरों का जमावड़ा बना रहता है। इलाके में संक्रमण, बीमारियों और हादसों का खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह समस्या एक-दो महीने नहीं, बल्कि वर्षों से जारी है।
स्कूल बना नशेड़ियों और चोरों का ठिकाना
यह परिसर अब गांजा, शराब और स्मैक पीने वालों का सुरक्षित अड्डा बन गया है। बच्चों की बजाय स्कूल में नशेड़ी और चोर ज्यादा नजर आते हैं। स्कूल की खिड़कियां, दरवाजे, यहां तक कि लोहे के गेट तक चुरा लिए गए हैं। स्कूल प्रशासन और शिक्षक खुद असुरक्षित महसूस करते हैं।
बिल्डिंग की हालत भी खतरनाक
स्कूल भवन की दीवारें सीलन से गल रही हैं, छतें टपक रही हैं। कुछ कमरों की हालत इतनी जर्जर है कि किसी भी वक्त हादसा हो सकता है। बिना बाउंड्री के यह भवन बच्चों की जान के लिए खतरा बन चुका है।
बाउंड्री नहीं, जिम्मेदारी भी नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि स्कूल के चारों ओर एक दीवार खड़ी कर दी जाए तो हालात तुरंत बदल सकते हैं। लेकिन वर्षों से प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। स्कूल का प्राइमरी विंग अब उपेक्षा का शिकार है क्योंकि इसका प्रशासनिक नियंत्रण सीनियर सेक्शन के साथ मर्ज कर दिया गया है।
अब नई प्रिंसिपल से उम्मीदें
हाल ही में यहां नई संस्था प्रधान की नियुक्ति हुई है। स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों को उम्मीद है कि वह इस उपेक्षित भवन और नौनिहालों की सुध लेंगी और इस मुद्दे को प्राथमिकता देंगी।
मांग: तत्काल प्रभाव से हो कार्रवाई
- विद्यालय परिसर की चारदीवारी का निर्माण प्राथमिकता से कराया जाए।
- परिसर को असामाजिक तत्वों से मुक्त कराने के लिए सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाए।
- भवन की मरम्मत और सुरक्षा निरीक्षण कराया जाए, ताकि बच्चों की जान जोखिम में न रहे।
- कोटा जिला शिक्षा अधिकारी व शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर आकर निरीक्षण करें।
- शिक्षा मंत्री स्वयं इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर तत्काल स्थायी समाधान सुनिश्चित करें।
यह सिर्फ स्कूल नहीं, बच्चों का भविष्य है – इसे बचाइए!
जहां बच्चों की हंसी होनी चाहिए वहां अब खौफ और खतरा है। क्या एक दीवार और थोड़ी सी प्रशासनिक संवेदनशीलता बच्चों को सुरक्षित, स्वच्छ और सम्मानजनक शिक्षा नहीं दे सकती?