Written by : प्रमुख संवाद
कोटा, 24 अगस्त।
इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस (आईबीसी) कोटा चेप्टर की वार्षिक आमसभा एवं तकनीकी सेमिनार रविवार को बूंदी रोड स्थित एक निजी रिसॉर्ट में भव्य रूप से सम्पन्न हुई। बड़ी संख्या में इंजीनियरों, विशेषज्ञों और सदस्यों की उपस्थिति ने इसे विशेष बना दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।

मुख्य अतिथि आईबीसी राजस्थान जयपुर के चेयरमैन एवं राजस्थान आवासन मंडल के पूर्व मुख्य अभियंता केसी मीणा ने अपने उद्बोधन में कहा कि “आईबीसी कोटा चेप्टर ने बीते दो वर्षों में जितनी सक्रियता और प्रभावी कार्य किए हैं, उतना किसी अन्य चेप्टर ने नहीं किया। लगभग 50 से अधिक सेमिनार, एजीएम और तकनीकी विजिट्स आयोजित कर कोटा चेप्टर ने पूरे देश में नई पहचान बनाई है। यह चेप्टर देशभर के लिए प्रेरणादायी है।”
उन्होंने कहा कि भवन निर्माण को टिकाऊ और किफायती बनाने के लिए शोध कार्य निरंतर जारी हैं। आईबीसी के माध्यम से केवल इंजीनियर ही नहीं बल्कि निर्माण क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक वर्ग को जोड़ने की आवश्यकता है ताकि समाज और राष्ट्र दोनों को अधिकतम लाभ मिल सके।
कोटा चेप्टर के चेयरमैन एवं पूर्व अति. मुख्य अभियंता सुरेश कुमार बैरवा ने बताया कि पिछले दो वर्षों में 12 मैनेजिंग कमेटी की बैठकें, तीन टेक्निकल विजिट्स, 8 सेमिनार और 8 महत्वपूर्ण दिवसों का आयोजन किया गया। इनमें इंजीनियर्स डे, विश्व पर्यावास दिवस, राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस, विश्व जल दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस एवं विश्व पर्यावरण दिवस शामिल हैं। साथ ही नई दिल्ली, रायपुर, हैदराबाद और अगरतला में हुई गर्वनिंग काउंसिल बैठकों में सक्रिय भागीदारी भी दर्ज की गई। बैरवा ने कहा कि इन विजिट्स और बैठकों से तकनीकी अनुभव साझा करने का अवसर प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सार्वजनिक निर्माण विभाग राजस्थान के पूर्व सचिव जीएल राव ने कहा कि निर्माण क्षेत्र में तेजी से नई तकनीकें आ रही हैं। इंजीनियरों को आईबीसी जर्नल्स और तकनीकी प्रजेंटेशन्स का अध्ययन कर अपनी दक्षता बढ़ानी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि पीडब्ल्यूडी के पूर्व मुख्य अभियंता पी.के. जैन ने कोटा चेप्टर की अकादमिक पहचान बनाने की आवश्यकता बताई। वहीं पीडब्ल्यूडी के पूर्व मुख्य अभियंता धीरेन्द्र माथुर ने पदाधिकारियों की एकजुटता और कार्यकुशलता की सराहना की।
इस अवसर पर आईबीसी राजस्थान चेप्टर सचिव एवं मणिपाल यूनिवर्सिटी की निदेशक-डीन डॉ. मधुरा यादव ने “सर्कुलर इकॉनमी और वेस्ट-टू-वेल्थ” विषय पर प्रभावी प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि गोबर, फ्लाई ऐश, प्लास्टिक, मार्बल की धूल और निर्माण अवशेषों का उपयोग भवन निर्माण में किया जा सकता है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा बल्कि दीर्घकालिक वित्तीय बचत भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि यदि उद्योग, नीति-निर्माता और अकादमिक जगत मिलकर कार्य करें तो “कचरे से समृद्धि” की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वरिष्ठ अभियंता, तकनीकी विशेषज्ञ और आईबीसी सदस्य उपस्थित रहे। अंत में आईबीसी कोटा चेप्टर के सचिव हेमन्त कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों और सदस्यों का आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
