फिर से कब्जे में सरकारी ज़मीन: कब जागेगा प्रशासन?दांता ग्राम पंचायत के खंडेला रोड पर करोड़ों की सरकारी भूमि पर दबंगों का दोबारा कब्जा, प्रशासन मूकदर्शक

Written by : Sanjay kumar


कोटा/बारां/14 अक्टूबर 2025
शाहबाद के केलवाड़ा दांता ग्राम पंचायत क्षेत्र स्थित खंडेला रोड पर करोड़ों की सरकारी ज़मीन एक बार फिर दबंग अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चली गई है। यह वही भूमि है जिसे कुछ समय पूर्व उपखंड अधिकारी राहुल मल्होत्रा के नेतृत्व में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मुक्त कराया गया था। उस कार्रवाई के दौरान कई अतिक्रमण ध्वस्त किए गए थे और महिला अतिक्रमी तक को हिरासत में लिया गया था।

लेकिन अधिकारियों के स्थानांतरण के बाद जैसे ही प्रशासन की पकड़ ढीली पड़ी, रसूखदारों ने सरकारी बोर्ड लगे होने के बावजूद उसी भूमि पर दोबारा कब्जा जमा लिया। बताया जा रहा है कि यह भूमि खसरा नंबर 39 में दर्ज है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये आँकी जाती है। सूत्रों के अनुसार इस भूमि की खरीद-फरोख्त की कोशिशें भी चालू हैं — जो सीधे तौर पर राजस्व नियमों का उल्लंघन है।

जानकारी के अनुसार, उक्त भूमि का एक हिस्सा पुलिस चौकी निर्माण हेतु चिन्हित किया गया था। इस पर तार फेंसिंग करवाने की भी योजना बनाई गई थी, लेकिन प्रशासन ने संबंधित विभागों को जमीन हैंडओवर नहीं करी. परंतु दबंगों के दोबारा कब्जा करने और अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण यह योजना अब अधर में लटक गई है।

स्थानीय ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब प्रशासन ने पहले सख्त कार्रवाई कर भूमि को मुक्त करवाया था, तो अब दोबारा कब्जा होना यह दर्शाता है कि दबंग तत्वों को शासन-प्रशासन का कोई भय नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत के बिना सरकारी भूमि पर इस स्तर का अतिक्रमण संभव ही नहीं है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पूर्व राज्य सरकार में अतिक्रमण पर कार्रवाई तो हुई थी लेकिन वर्तमान सरकार में तो अतिक्रमण दबंगईयों की मिली भगत से फल फूल रहा है।

कलेक्टर ने पहले ही जारी कर दिए थे आदेश, फिर भी कार्रवाई ठप
पूर्व में जब इस मुद्दे पर मीडिया ने खबर प्रकाशित की थी, तब जिला कलेक्टर बारां ने तत्काल संज्ञान लेते हुए उपखंड अधिकारी शाहबाद को खसरा नंबर 37, 38 और 39 से अतिक्रमण हटवाने के आदेश जारी किए थे।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर दिवांशु शर्मा द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि भूमि से अतिक्रमण हटाकर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इसके बावजूद, दोबारा कब्जा हो जाना यह सिद्ध करता है कि आदेश केवल कागजों तक सीमित रह गए हैं।

तहसीलदार का बयान—“नायब तहसीलदार को भेजा है पत्र, जवाब का इंतजार”
इस मामले में तहसीलदार अनिता सिंह ने बताया कि दांता के खंडेला रोड पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर नायब तहसीलदार को पत्र भेजा गया है और जल्द कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि “अभी नायब तहसीलदार से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।”

एसडीओ से संपर्क की कोशिश, फोन तक नहीं उठाया गया
इस गंभीर प्रकरण में जब उपखंड अधिकारी से फोन पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल रिसीव तक नहीं किया। यह प्रशासन की उस उदासीनता को दर्शाता है जिसमें आम नागरिकों की शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं और सरकारी भूमि पर दबंगों का कब्जा लगातार बढ़ता जाता है।

कब टूटेंगे ये अतिक्रमण? कब जागेगा सरकारी तंत्र?
प्रशासन की ढिलाई, मिलीभगत और कागजी कार्रवाई के इस चक्र में करोड़ों की सरकारी संपत्ति रोज़ाना दबंगों की भेंट चढ़ रही है। सवाल यह है कि जब कलेक्टर के आदेश तक ठंडे बस्ते में पड़ जाएं, तहसीलदार जवाब का इंतजार करें और एसडीओ फोन तक न उठाएं — तो आम नागरिक किससे न्याय की उम्मीद करें?

स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि तुरंत प्रभाव से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाए, दोषी अधिकारियों पर जवाबदेही तय हो और उस भूमि को पुलिस चौकी निर्माण हेतु संरक्षित किया जाए ताकि भविष्य में कोई दोबारा कब्जा करने की हिम्मत न करे।


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