वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर उमड़ा देशभक्ति का सागर

Written by : प्रमुख संवाद


महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम में गूंजा राष्ट्रगीत, शहीद परिजनों का सम्मान — लोकसभा अध्यक्ष ने कहा ‘वंदे मातरम् राष्ट्र की आत्मा का स्वर’

कोटा, 7 नवम्बर।
राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम में जिला स्तरीय कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। भारत माता के वंदन से सराबोर इस समारोह में सैकड़ों नागरिकों ने हाथों में तिरंगा थामकर राष्ट्रभक्ति का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में शहीद परिजनों का सम्मान, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, स्वदेशी मेला और प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।


‘वंदे मातरम्’ राष्ट्र की आत्मा का स्वर — लोकसभा अध्यक्ष

समारोह को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि “यह दिन हम सबके लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक है। 150 वर्ष पूर्व बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने जब ‘वंदे मातरम्’ लिखा, तब उन्होंने केवल एक गीत नहीं रचा, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को स्वर दिया।”
उन्होंने कहा कि यह गीत स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा बना और हर भारतीय के मन में मातृभूमि के प्रति प्रेम और त्याग की भावना जगाई। आज यह अवसर केवल स्मरण का नहीं, बल्कि संकल्प का भी है — आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने का।


‘स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक बना वंदे मातरम्’ — उप मुख्यमंत्री

उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि वंदे मातरम् समृद्ध शब्दों और अर्थ की दृष्टि से स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा प्रेरक बना। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के समान सम्मान प्रदान किया था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से पूरे देश में वंदे मातरम् के स्वर पुनः गुंजायमान हो रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने स्वदेशी संकल्प और एकता दिवस की शपथ भी दिलाई।


‘राष्ट्रगीत मन और शरीर को नई ऊर्जा देता है’ — जिला प्रभारी मंत्री

जिला प्रभारी मंत्री एवं सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब भी यह गीत गाया जाता, यह नवचेतना और जोश भर देता था। आज भी वंदे मातरम् का प्रत्येक शब्द हमें नई शक्ति प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस आयोजन को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाना राष्ट्रगीत के महत्व को पुनः स्थापित करता है।


‘वंदे मातरम् के स्वर सदैव गुंजायमान रहेंगे’ — शिक्षा मंत्री

शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि वंदे मातरम् मात्र एक गीत नहीं, बल्कि देशभक्ति की भावनाओं का स्रोत है। अंग्रेजी शासन ने जब इस गीत की ताकत देखी तो इस पर पाबंदी लगा दी थी। फिर भी यह गीत स्वतंत्रता की प्रेरणा बनकर देशवासियों के हृदय में गूंजता रहा और आगे भी प्रेरणा देता रहेगा।


‘वंदे मातरम् को आत्मसात करने की जरूरत’ — कोटा दक्षिण विधायक

कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि वंदे मातरम् ने 150 वर्ष पूर्व भारतीयों के हृदय में एकता, समृद्धि और मातृभूमि पर मर मिटने की भावना पैदा की थी। आज युवाओं के लिए यह आवश्यक है कि वे इस गीत को आत्मसात करें और देश के प्रति अपने दायित्वों को समझें।


देशभक्ति से सराबोर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ

कार्यक्रम में स्कूल, पुलिस और आर्मी बैंड की प्रस्तुतियों ने देशभक्ति का वातावरण सजीव कर दिया। संगीत स्कूल की छात्राओं ने नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की, वहीं समूह गान और वंदे मातरम् के सामूहिक गायन ने माहौल को उत्साह और भावना से भर दिया।
शहीद परिजनों वीरांगना बबीता शर्मा, मधुबाला और लक्ष्मीदेवी का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया।


कार्यक्रम में रही प्रभावशाली उपस्थिति

इस अवसर पर जिला कलक्टर पीयूष समारिया, अतिरिक्त कलक्टर प्रशासन वीरेन्द्र सिंह यादव, अतिरिक्त जिला कलक्टर सीलिंग कृष्णा शुक्ला, शहर जिलाध्यक्ष राकेश जैन, ग्रामीण जिलाध्यक्ष प्रेम गोचर, कार्यक्रम संयोजक हेमंत विजयवर्गीय सहित जिला प्रशासन के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, गणमान्यजन, आर्मी के जवान, एनसीसी कैडेट्स, विद्यार्थी एवं आमजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।



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