आवारा कुत्तों का खतरा : नागरिकों के जीवन और सुरक्षा की रक्षा हेतु सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्देश

Written by : Sanjay kumar


शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन व खेल परिसरों से आवारा कुत्तों का खतरा समाप्त करने हेतु दो सप्ताह में कार्य योजना लागू करने का आदेश

नई दिल्ली, 7 नवम्बर 2025।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत सुरक्षा के अधिकार) के तहत नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से देशभर के शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस स्टैंड/डिपो तथा रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों के प्रवेश और हमलों की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

यह आदेश देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर समान रूप से लागू होगा और इसके पालन हेतु दो सप्ताह की अवधि में क्षेत्रवार कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है।


🔷 सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्देश:

(क) राज्य सरकारें एवं केंद्र शासित प्रदेश दो सप्ताह में अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत स्थित सभी सरकारी व निजी शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल (जिला अस्पताल, पीएचसी, मेडिकल कॉलेज सहित), सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड/डिपो तथा रेलवे स्टेशन की पहचान करेंगे।

(ख) इन संस्थानों के प्रशासनिक प्रमुख संबंधित नगरपालिका या स्थानीय प्राधिकरणों के माध्यम से और जिला मजिस्ट्रेट की देखरेख में यह सुनिश्चित करेंगे कि परिसर पूरी तरह से सुरक्षित, घिरा हुआ और आवारा कुत्तों के प्रवेश से संरक्षित हो। यह कार्य अधिकतम 8 सप्ताह में पूर्ण करना अनिवार्य किया गया है।

(ग) प्रत्येक संस्था एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगी जो परिसर की सफाई, रखरखाव और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगा। उस अधिकारी का नाम और संपर्क विवरण प्रवेश द्वार पर प्रदर्शित किया जाएगा।

(घ) स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण व पंचायतें हर तीन माह में नियमित निरीक्षण करेंगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि परिसरों के भीतर या आसपास कोई आवारा कुत्ते निवास न करें। किसी भी लापरवाही की स्थिति में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।

(ङ) किसी भी संस्थागत परिसर में पाए जाने वाले आवारा कुत्तों को तुरंत हटाना, नसबंदी व टीकाकरण के बाद निर्दिष्ट आश्रय स्थल में स्थानांतरित करना संबंधित नगर निकाय की जिम्मेदारी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि — “ऐसे कुत्तों को उसी स्थान पर दोबारा नहीं छोड़ा जाएगा, ताकि संस्थागत क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की समस्या स्थायी रूप से समाप्त की जा सके।”


🏥 अस्पतालों के लिए विशेष निर्देश:

सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों को एंटी-रेबीज वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलिन का पर्याप्त स्टॉक हर समय उपलब्ध रखना अनिवार्य किया गया है, ताकि काटने की किसी भी घटना में तत्काल चिकित्सा सहायता दी जा सके।


🏫 शिक्षा मंत्रालय की भूमिका:

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया गया है कि देशभर के सभी स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों और कर्मचारियों के लिए ‘पशु-संपर्क सुरक्षा जागरूकता सत्र’ आयोजित किए जाएं।
इन सत्रों में काटने की स्थिति में प्राथमिक उपचार, तत्काल रिपोर्टिंग, तथा निवारक व्यवहार सिखाया जाएगा।


🏟️ खेल परिसर एवं स्टेडियम के लिए निर्देश:

सभी स्टेडियम और खेल परिसरों में ग्राउंड-कीपिंग एवं सुरक्षा कर्मियों की 24 घंटे तैनाती अनिवार्य होगी, ताकि किसी भी आवारा कुत्ते का प्रवेश या निवास न हो।


🚉 रेलवे और बस परिवहन परिसर:

रेलवे प्राधिकरणों, राज्य परिवहन निगमों और नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं कि

  • परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था और सफाई नियमित रूप से हो,
  • खाद्य अपशिष्ट के स्रोत समाप्त किए जाएं,
  • और आवारा कुत्तों की उपस्थिति का पता लगाने हेतु नियमित निरीक्षण किए जाएं।

🐕‍🦺 भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को नई SOP तैयार करने का आदेश:

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को चार सप्ताह में एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने का निर्देश दिया है, जो पूरे भारत में संस्थागत परिसरों में कुत्तों के काटने की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन के लिए लागू की जाएगी।
यह SOP सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अनिवार्य दिशानिर्देश के रूप में स्वीकार की जाएगी।


⚖️ संवैधानिक दृष्टि से आदेश का महत्व:

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय अनुच्छेद 21 (Right to Life and Personal Liberty) की भावना को सुदृढ़ करता है, जो प्रत्येक नागरिक को “भयमुक्त, सुरक्षित और गरिमापूर्ण जीवन” का अधिकार देता है।
अदालत ने कहा —

“किसी भी सार्वजनिक या शैक्षणिक संस्था में लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ या आवारा पशुओं के कारण उत्पन्न खतरा, संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।”


📌 कार्रवाई की समयसीमा:

  • क्षेत्रवार संस्थानों की पहचान — 2 सप्ताह के भीतर
  • परिसरों की सुरक्षा व बाड़बंदी — 8 सप्ताह के भीतर पूर्ण
  • नोडल अधिकारी नियुक्ति — तुरंत प्रभाव से
  • नियमित निरीक्षण — हर 3 माह में एक बार
  • SOP जारी — 4 सप्ताह में पशु कल्याण बोर्ड द्वारा

🔰 संक्षेप में:

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल सार्वजनिक सुरक्षा का रोडमैप तय करता है बल्कि देश में मानव जीवन और पशु कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में भी एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।



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