Written by : Sanjay kumar
नई दिल्ली — 5 दिसंबर 2025: नई दिल्ली में सम्पन्न 23वें वार्षिक India–Russia Summit के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत-रूस संबंधों को व्यापक और दीर्घकालिक साझेदारी के रूप में आगे बढ़ाने की संयुक्त प्रतिबद्धता व्यक्त की। सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों नेता 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $100 बिलियन तक फैलाने का लक्ष्य लेकर एक आर्थिक-सहयोग कार्यक्रम को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।
प्रमुख निर्णय व समझौते
- व्यापार-लक्ष्य और आर्थिक सहयोग:
- दोनों देशों ने “Economic Cooperation Programme till 2030” पर सहमति व्यक्त की; लक्ष्य — द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक $100 बिलियन तक पहुंचाना। वर्तमान में हालिया अवधि (2024–25) में द्विपक्षीय व्यापार लगभग $68–69 बिलियन के स्तर पर रहा है — इसलिए यह लक्ष्य सम्भाव्य लेकिन महत्वाकांक्षी है।
- ऊर्जा (तेल/गैस/कोयला) व नागरिक-नाभिकीय सहयोग:
- रूस ने भारत को ईंधन आपूर्ति जारी रखने की प्रतिज्ञा दोहराई है; दोनों पक्ष ऊर्जा सुरक्षा, दीर्घकालिक आपूर्ति व्यवस्था तथा सम्भावित न्यूक्लियर परियोजनाओं पर आगे सक्रिय सहयोग करने पर सहमत हुए। (स्रोत: Reuters, AP, संयुक्त बयान)।
- RELOS — रक्षा-लॉजिस्टिक समझौते का रैटिफिकेशन:
- रूस की स्टेट-ड्यूमा ने Reciprocal Exchange of Logistic Support (RELOS) समझौते को रैटिफाई कर दिया है — जिससे दोनों देशों के सैन्य-वायु/नौसैनिक/जमीनी प्लेटफॉर्मों को पारस्परिक लॉजिस्टिक सहारा, पोर्ट-/एयर बेसों तक पहुंच और संयुक्त अभ्यास/मानवीय सहायता में सुविधा मिलेगी। यह समझौता दोनों पक्षों की सैन्य-संपर्कों को व्यवस्थित व सुविधाजनक बनाता है।
- कृषि व उर्वरक — उद्योग सहयोग:
- भारतीय व रूसी कंपनियों के बीच उर्वरक उत्पादन, कृषि आपूर्ति श्रृंखला व टेक्नोलॉजी साझा करने के समझौते हुए — जिसका उद्देश्य भारत की खाद्य-सुरक्षा व उर्वरक उपलब्धता मजबूत करना है। (व्यापार-समझौते/कॉमर्शियल डील्स)।
- शिपिंग, लॉजिस्टिक और कनेक्टिविटी:
- बंदरगाह, शिपिंग, समुद्री मार्ग, तथा लॉजिस्टिक नेटवर्क को सुदृढ़ करने के लिए MoU दिल्ली मंच पर हुए; इससे माल और सेवाओं के प्रवाह में सुधर होगा।
- स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान-प्रौद्योगिकी व मानव संसाधन आदान-प्रदान:
- चिकित्सा, स्वास्थ्य अनुसंधान, शैक्षणिक साझेदारी, वीजा-सुविधाएँ और श्रम-गतिशीलता पर समझौते/रूख तय किए गए।
वैश्विक संदर्भ: अमेरिका, चीन और पाकिस्तान — क्या अर्थ निकलते हैं?
- अमेरिका: पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका के दबाव और प्रतिबंधों के बीच यह यात्रा और समझौते संकेत देते हैं कि भारत अपनी ऊर्जा-और सामरिक जरूरतों तथा आर्थिक हितों के अनुरूप बहु-धुरीय नीति बनाए रखना जारी रखेगा। अमेरिका के कुछ विश्लेषकों/अधिकारियों ने रूस-भारत निकटता पर चिंता जताई है; वहीं भारत ने कहा कि उसकी नीतियाँ राष्ट्रीय हितों पर आधारित होंगी।
- चीन: चीन इस साझेदारी को नज़रों से देख रहा है; भारतीय-रूसी निकटता दक्षिण एशिया व हिन्द-प्रशांत के भू-राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है। कुछ चीनी विश्लेषक/राजनयिक टिप्पणियाँ भी मीडिया में आई हैं।
- पाकिस्तान: क्षेत्रीय सुरक्षा-संतुलन के दृष्टिकोण से पाकिस्तान ने भारत-रूस समझौतों पर सतर्क टिप्पणी की है; RELOS जैसे समझौते भारत की सामरिक पहुंच और साझेदारी क्षमता को बढ़ाते हैं, जिसे पाकिस्तान नजरअंदाज नहीं करेगा।
निष्कर्ष (सार)
- शिखर सम्मेलन ने पारंपरिक रक्षा-ऊर्जा संबंधों को व्यापक आर्थिक, वैज्ञानिक व सामाजिक सहयोग की दिशा में बदलने का स्पष्ट संकेत दिया। आधिकारिक संयुक्त बयान व सार्वजनिक रिपोर्टों के मुताबिक, समझौते सत्यापित हैं और लक्ष्य/रूख स्पष्ट है: बहु-आयामी साझेदारी और 2030 तक महत्वाकांक्षी आर्थिक लक्ष्य।
