Written by : प्रमुख संवाद
दिनांक: 17.12.2025
“नये आपराधिक कानून का प्रभाव: फरार अपराधियों में बढ़ा कानून का डर”
कोटा। पुलिस अधीक्षक कोटा शहर तेजस्वीनी गौतम (भा.पु.से.) ने बताया कि 01 जुलाई 2024 से देशभर में लागू नये आपराधिक कानूनों की प्रभावी क्रियान्विति के तहत कोटा शहर पुलिस द्वारा संगठित अपराधों एवं फरार अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में थाना रेलवे कॉलोनी द्वारा दर्ज हनीट्रैप प्रकरण में एक वर्ष से फरार चल रही 10 हजार रुपये की इनामी उद्घोषित अपराधिया बबलप्रीत उर्फ नरगिस ने कानून के डर से पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि थाना रेलवे कॉलोनी में प्रकरण संख्या 324/2024 अंतर्गत धारा 308(2), 308(7), 333, 61(2), 318(4) बीएनएस में प्रकरण दर्ज किया गया था। अनुसंधान के दौरान हनीट्रैप गिरोह के सक्रिय सदस्यों असलम शेर खान उर्फ चिन्टू उर्फ कालिया, दानिश हनीफी उर्फ नाई, इरफान उर्फ तनू, समा परवीन एवं गोलू को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। इस प्रकरण में मुख्य आरोपी बबलप्रीत उर्फ नरगिस घटना के बाद से लगातार फरार चल रही थी।
फरार अभियुक्ता की गिरफ्तारी हेतु कोटा, बूंदी, जयपुर एवं अजमेर सहित संभावित ठिकानों पर लगातार दबिशें दी गईं। गिरफ्तारी नहीं होने पर माननीय न्यायालय से अभियुक्ता को उद्घोषित अपराधी घोषित करवाया गया तथा उस पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया। जांच में सामने आया कि अभियुक्ता लगातार ठिकाने बदलकर बूंदी, कोटा, जयपुर एवं चंडीगढ़ में रह रही थी।
दिनांक 09.09.2025 को थाना रेलवे कॉलोनी पुलिस द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 356 के अंतर्गत Trial in Absentia (अनुपस्थिति में मुकदमा) की कार्यवाही प्रारंभ करने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। इस कार्यवाही की जानकारी मिलने पर अभियुक्ता बबलप्रीत उर्फ नरगिस ने गिरफ्तारी एवं न्यायालयीन प्रक्रिया के भय से दिनांक 17.12.2025 को चंडीगढ़ से आकर थाना रेलवे कॉलोनी में आत्मसमर्पण कर दिया। अभियुक्ता को विधिवत गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण का संक्षिप्त विवरण
अनुसंधान में सामने आया कि अभियुक्ता एवं उसके सहयोगियों द्वारा सुनियोजित तरीके से हनीट्रैप गिरोह संचालित किया जा रहा था। गिरोह के सदस्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों को झूठे प्रेम संबंधों एवं विवाह के जाल में फंसाकर, बलात्कार व अन्य गंभीर आरोपों की धमकी देकर ब्लैकमेल करते थे तथा उनसे मोटी रकम वसूलते थे। पीड़ित से विभिन्न खातों में लाखों रुपये ट्रांसफर कराए गए तथा लगातार धमकियां दी जाती रहीं। प्रकरण में बैंक रिकॉर्ड, मोबाइल चैट, कॉल रिकॉर्डिंग एवं अन्य साक्ष्य जांच में संकलित किए गए हैं।
नये आपराधिक कानून की धारा 356 (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023)
धारा 356 के तहत यदि कोई अभियुक्त लंबे समय तक फरार रहता है, तो न्यायालय उसकी अनुपस्थिति में भी मुकदमे की कार्यवाही आगे बढ़ा सकता है। इसमें गिरफ्तारी वारंट, सार्वजनिक नोटिस, परिचितों को सूचना तथा निर्धारित अवधि पश्चात सुनवाई की प्रक्रिया शामिल है। इस प्रावधान का उद्देश्य फरार अपराधियों के कारण न्याय में होने वाली देरी को रोकना और पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाना है। अभियुक्त को अपील का अधिकार तभी प्राप्त होता है, जब वह स्वयं न्यायालय में उपस्थित होता है।
कोटा शहर पुलिस द्वारा की गई यह कार्यवाही नये आपराधिक कानून की प्रभावशीलता का स्पष्ट उदाहरण है, जिससे यह संदेश गया है कि कानून से भागने वाले अपराधी अंततः न्याय के दायरे में लाए जाएंगे।
