Written by : Sanjay kumar
Central Excise Bill 2025 से कीमत बढ़ेगी तो क्या स्मोकिंग घटेगी या कालाबाजारी और बेरोजगारी बढ़ेगी?
नई दिल्ली, 30 दिसम्बर । केंद्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत Central Excise (Amendment) Bill 2025 को लेकर देशभर में तीखी बहस छिड़ गई है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन में स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य तंबाकू और सिगरेट जैसे हानिकारक उत्पादों को महंगा बनाकर इनके उपभोग को हतोत्साहित करना और जनस्वास्थ्य की रक्षा करना है।
हालांकि, इस विधेयक को लेकर स्वास्थ्य लाभ, महंगाई, कालाबाजारी और साढ़े चार करोड़ लोगों के रोजगार पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या है Central Excise Bill 2025
Central Excise Bill 2025 के तहत सिगरेट, बीड़ी, हुक्का तंबाकू, चबाने वाले तंबाकू (गुटखा, खैनी, जर्दा) और स्मोकिंग मिश्रण पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में भारी वृद्धि का प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक Central Excise Act 1944 में संशोधन करता है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि GST मुआवजा उपकर समाप्त होने के बाद भी तंबाकू उत्पाद सस्ते न हों।
सरकार का कहना है कि यह कोई नया कर नहीं है, बल्कि मौजूदा टैक्स संरचना को मजबूत करने का कदम है, ताकि तंबाकू उत्पादों पर कर भार कम न हो।
सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर प्रस्तावित टैक्स का असर
• सिगरेट पर प्रति 1000 स्टिक उत्पाद शुल्क कई गुना बढ़ाने का प्रावधान, सिगरेट पर उत्पाद शुल्क ₹200-₹735 प्रति 1,000 सिगरेट से बढ़कर ₹2,700-₹11,000 प्रति 1,000 सिगरेट तक।
• चबाने वाले तंबाकू पर 25% से 100% तक शुल्क वृद्धि
• हुक्का तंबाकू, पाइप और स्मोकिंग मिक्सचर पर भारी एक्साइज ड्यूटी
• तंबाकू उत्पादों की खुदरा कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी की आशंका
सरकार का तर्क है कि कीमत जितनी ज्यादा, खपत उतनी कम — खासकर युवा वर्ग में।
क्या कीमत बढ़ने से लोग स्मोकिंग छोड़ देंगे?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और WHO के अनुसार टैक्स और कीमतें बढ़ाना तंबाकू नियंत्रण का प्रभावी तरीका है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में:
• करीब 26–27 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं
• हर साल 10 से 13 लाख लोगों की मौत तंबाकू जनित बीमारियों से होती है
• कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों की बीमारियां और टीबी जैसी गंभीर समस्याएं तंबाकू से जुड़ी हैं
सरकार का दावा है कि कीमत बढ़ने से तंबाकू का सेवन घटेगा और लंबे समय में लाखों जानें बचाई जा सकती हैं।
कालाबाजारी का खतरा कितना बड़ा?
उद्योग विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि अत्यधिक टैक्स वृद्धि का सीधा नतीजा अवैध तंबाकू बाजार के रूप में सामने आ सकता है।
• सस्ते अवैध सिगरेट और तंबाकू की मांग बढ़ सकती है
• सरकारी राजस्व को नुकसान
• स्वास्थ्य नियंत्रण कमजोर
• नकली और घटिया उत्पादों से स्वास्थ्य जोखिम और बढ़ने की आशंका
यदि प्रवर्तन कमजोर रहा, तो यह नीति स्मोकिंग घटाने के बजाय अवैध बाजार को बढ़ावा दे सकती है।
तंबाकू इंडस्ट्री और रोजगार पर बड़ा सवाल
भारत में तंबाकू उद्योग एक विशाल रोजगार श्रृंखला है।
सरकारी और उद्योग आंकड़ों के अनुसार:
• लगभग साढ़े चार करोड़ लोग
– तंबाकू किसान
– फैक्ट्री वर्कर्स
– बीड़ी मजदूर
– ट्रांसपोर्टर
– रिटेलर
– सप्लायर और पैकेजिंग स्टाफ
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस सेक्टर से जुड़े हैं।
किसानों पर असर
• तंबाकू कई राज्यों में प्रमुख नकदी फसल
• मांग घटने पर किसानों को कम दाम
• भुगतान में देरी और कर्ज का खतरा
• वैकल्पिक फसल में तुरंत बदलाव छोटे किसानों के लिए कठिन
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर की आशंका जताई जा रही है।
फैक्ट्री वर्कर्स और बीड़ी उद्योग
• उत्पादन घटने पर फैक्ट्रियों में छंटनी
• अस्थायी कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में
• बीड़ी उद्योग में बड़ी संख्या में महिला श्रमिक सबसे ज्यादा प्रभावित
• छोटे और मध्यम तंबाकू यूनिट्स के बंद होने का खतरा
रिटेलर्स और सप्लाई चेन
• लाखों छोटे पान-बीड़ी और सिगरेट दुकानदारों की आय प्रभावित
• बिक्री गिरने से आर्थिक अस्थिरता
• लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट, प्रिंटिंग और पैकेजिंग से जुड़े कर्मचारियों पर भी असर
रोजगार बढ़ेगा या बेरोजगारी?
सरकार का पक्ष:
• टैक्स से मिलने वाले राजस्व से स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत होंगी
• वैकल्पिक आजीविका और फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा
उद्योग और श्रमिक संगठनों की चिंता:
• अचानक टैक्स वृद्धि से बेरोजगारी बढ़ेगी
• रोजगार संक्रमण के लिए ठोस योजना नहीं
• अवैध सेक्टर में काम करने वालों को कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं
संतुलन की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि तंबाकू नियंत्रण नीति तभी सफल होगी जब:
• टैक्स वृद्धि चरणबद्ध हो
• किसानों के लिए वैकल्पिक फसल सहायता
• फैक्ट्री वर्कर्स के लिए री-स्किलिंग
• रिटेलर्स के लिए संक्रमण पैकेज
• कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त निगरानी
इन सभी कदमों को एक साथ लागू किया जाए।
निष्कर्ष
Central Excise Bill 2025 एक ओर जनस्वास्थ्य की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह महंगाई, कालाबाजारी और साढ़े चार करोड़ लोगों के रोजगार को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।
यदि सरकार स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ रोजगार और आर्थिक संक्रमण की ठोस नीति नहीं लाती, तो यह विधेयक फायदे के साथ नई चुनौतियां भी पैदा कर सकता है।
